रिश्ते की संजीवनी या फिर पैदा करती है दरार, जानें हाइपर-इंडिपेंडेंस का सच

हाइपर इंडिपेंडेंस, जहां आत्मनिर्भरता रिश्तों में दरार डालती है। भावनात्मक दूरी और विश्वास की कमी से रिश्ते टूटने की कगार पर। क्या है इसका हल?

रिलेशनशिप डेस्क. स्वंतत्र होना या फिर किसी पर निर्भर नहीं होना एक अच्छी बात है। आज के दौर में लड़का हो या फिर लड़की दोनों के लिए इंडिपेंडेंस होना जरूरी है। लेकिन कभी-कभी कुछ लोग हाइपर इंडिपेंडेंस हो जाते हैं, जिसकी वजह से रिश्ते प्रभावित होने लगते हैं। यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें इंसान खुद को इतना आत्मनिर्भर बना लेता है कि वह किसी से भी मदद लेने से बचता है, यहां तक की वो चाहकर भी मदद नहीं ले पाता है। वो अपनी हर जिम्मेदारी अकेले निभाने की कोशिश करता है।

हाइपर-इंडिपेंडेंस कैसे डेवलप होती है?

जब किसी इंसान के साथ लाइफ में कुछ इमोशनल रूप से दर्दनाक घटना होती है या फिर उसे इग्नोर किया जाता है। तो वह इस मानसिक अवस्था में पहुंच जाता है। मसलन उसे बचपन में इमोशनल रूप से लोगों ने नजरअंदाज किया हो,या मदद मांगने पर मिली ना हो। तो वो मन में संकल्प ले लेता है कि वो इतना आत्मनिर्भर बनेगा कि किसी चीज के लिए दूसरों के सामने नहीं जाना पड़ेगा। धीरे-धीरे वो बाहरी दुनिया से कटता जाता है। वो लोगों से मदद नहीं मांगता है और वो हाइपर इंडिपेंडेंस का शिकार हो जाता है।

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रिश्ते को हाइपर इंडिपेंडेंस कैसे करता है प्रभावित

ऐसा इंसान जो खुद को ज्यादा आत्मनिर्भर पाता है वो किसी से भी जुड़ाव पसंद नहीं करता है। वो बचता है किसी के साथ जुड़ने से। वो अपनी डर, चिंताओं और निजी मामले को किसी दूसरे से साझा नहीं कर पाता है। वो अपने रिश्ते में पूरी तरह से ओपन नहीं पाता है। जिसकी वजह से रिश्ते में दूरी बनने लगती है। पार्टनर समझ नहीं पाता है कि सामने वाला ऐसा क्यों कर रहा है। जिसकी वजह से रिश्ते टूटने की स्थिति बन जाती है।

विश्वास की कमी

हाइपर-इंडिपेंडेंट लोग दूसरों पर पूरी तरह से विश्वास नहीं कर पाते। उन्हें यह डर रहता है कि यदि उन्होंने अपनी भावनाओं या जरूरतों को किसी के साथ साझा किया, तो वह उन्हें धोखा दे सकते हैं। यह विश्वास की कमी रिश्ते में तनाव उत्पन्न कर सकती है और साथी के साथ जुड़े रहने में कठिनाई उत्पन्न कर सकती है।

इमोश से बन जाती है दूरी, कमिटमेंट से भी इंकार

हाइपर इंडिपेंडेंट इंसान इमोशनल नहीं होते हैं। वे अपनी भावनाओं को खुद तक रहते हैं। यहां तक की दूसरे के इमोशन का भी कद्र नहीं कर पाते हैं। जिसकी वजह से रिश्ते प्रभावित होते हैं। इतना ही नहीं वो रिश्ते में कमिटमेंट भी नहीं कर पाता है। उसे लगता है कि ऐसा करने से उसकी स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है। इसलिए वे अपने रिश्तों में पूरी तरह से खुद को नहीं दे पाते, और रिश्ता स्थिर नहीं बन पाता।

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