
What is Over Parenting: पेरेंटिंग हर माता-पिता के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। हम सब चाहते हैं कि हमारे बच्चे सुरक्षित, खुश और सफल हों। लेकिन कभी-कभी यही चाहत हमें इतनी ज्यादा कंट्रोलिंग बना देती है कि हम बच्चों की हर छोटी-बड़ी चीज में दखल देने लगते हैं। इसे ही ओवर पेरेंटिंग या हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग कहा जाता है। इसका मतलब है बच्चों के जीवन पर जरूरत से ज्यादा निगरानी रखना, उनके फैसलों में लगातार दखल देना और उन्हें छोटी-छोटी फेलियर और चुनौतियों से भी लगातार बचाते। शुरुआत में यह प्यार और केयर का रूप लगता है, लेकिन लंबे समय में यह बच्चे के व्यक्तित्व और ग्रोथ के लिए हानिकारक हो सकता है। हमें पता नहीं चलता कि कब हम बच्चे को प्रोटेक्ट करते-करते उनकी हर चीज में इंटरफेयर करने लगे और वह हमारी इस आदत से कैसे परेशान होने लगा और उसके जीवन में क्या बदलाव होने लगा। आज हम आपको बताएं कि ओवर पेंटिंग क्या है और यह बच्चों को कैसे नुकसान पहुंचाता है।
जब माता-पिता बच्चे की हर समस्या को खुद सुलझा देते हैं, तो बच्चा खुद फैसले लेने और समस्याओं का हल निकालने की क्षमता खोने लगता है और माता-पिता पर डिपेंडेंट हो जाता है। इससे उसकी सेल्फ-कॉन्फिडेंस और सेल्फ-एस्टीम धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है। इसके अलावा, जब बच्चों को असफलता झेलने या गलतियां करने का मौका नहीं मिलता, तो वे असल जिंदगी की चुनौतियों का सामना करने के लिए मेंटली तैयार नहीं हो पाते।
कई रिसर्च में पाया गया है कि ओवर पेरेंटिंग के कारण बच्चे अक्सर एंग्जायटी, लो सेल्फ-वर्थ और सोशल इनसिक्योरिटी के शिकार भी हो सकते हैं। वे दूसरों पर ज्यादा डिपेंडेंट रहते हैं और खुद से फैसले लेने से डरते हैं। यही वजह है कि ऐसे बच्चे आगे चलकर करियर, रिलेशनशिप और पर्सनल लाइफ में स्ट्रगल महसूस कर सकते हैं।
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माता-पिता का उद्देश्य बच्चों की जिंदगी आसान बनाना होता है, लेकिन ज्यादा कंट्रोल करने से उल्टा इसका उन पर असर पड़ सकता है। बच्चे अपनी पहचान और आजादी डेवलप नहीं कर पाते। उनमें क्रिएटिविटी, रिस्क-टेकिंग और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स कम हो जाती हैं। कई बार बच्चे खुद को "अयोग्य" समझने लगते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पेरेंट्स उन पर विश्वास नहीं करते। यही ओवर पेरेंटिंग का सबसे बड़ा नुकसान है।
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जरूरी है कि माता-पिता बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से आजादी दें। उन्हें छोटे-छोटे फैसले खुद लेने दें, चाहे उसमें गलती ही क्यों न हो। असफलता से सीखने का अनुभव बच्चों को मजबूत और इंडिपेंडेंट बनाता है। बच्चों को गाइड करें, लेकिन हर समय उनके लिए रास्ता साफ करने की बजाय उन्हें खुद उस रास्ते पर चलने का हिम्मत दें और सिखाएं की परेशानियों से कैसे निपटा जाए।