पैदल या हेलीकॉप्टर, कैसे पहुंचें केदारनाथ? यहां जानें आसान रास्ता और रोचक रहस्य

Published : May 05, 2025, 09:33 AM IST

Kedarnath Dham Travel guide: केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को खुल गए हैं। जानें जानिए केदारनाथ के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें ठहरने की सुविधाओं की जानकारी। 

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केदारनाथ धाम के खुले कपाट

उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम के कपाट खोले जा चुके हैं। भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। केदारनाथ मंदिर में हर साल भक्तों क सैलाब उमड़ रहता है। माइनस डिग्री तापमान, आंधी बारिश भी भक्तों का साहस तोड़ नहीं पाता है। बता दें, यह मंदिर 6 महीने बंद रहता है और बाकी 6 महीने खुला रहता है। इससे जुड़े कई रहस्य आपको हैरान कर सकते हैं। साथ ही आज ये भी जानेंगे, केदरनाथ मंदिर कैसे जाएं। केदारनाथ के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं।

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केदारनाथ धाम से जुड़े रहस्य
केदारनाथ धाम के कपाट 6 महीने बंद रहते हैं और इस दौरान अंदर हमेशा एक दीपक जलता रहता है, क्या आपको पता है? 6 महीने बाद जब कपाट खुलते हैं, तो अंदर एक दीपक जलता हुआ मिलता है।
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केदारनाथ मंदिर का इतिहास
महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए केदारनाथ को चुना था। केदारनाथ धाम में, शिव बैल के रूप में पांडवों के सामने प्रकट हुए और इसके बाद वहां भूमि-शिवलिंग उत्पन्न हुआ।
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केदारनाथ धाम में पूजा कौन करता है

केदारनाथ धाम शिव मंदिर होने के कारण केवल शैव समुदाय के पुजारी ही यहां शिव की पूजा करते हैं। यहां शिव के दर्शन करना ही एक पुण्य का काम है। अगर आप बद्रीनाथ जाते हैं तो केदारनाथ के दर्शन किए बिना आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है। इसलिए चाहे कितनी भी मुश्किल हो, केदारनाथ के दर्शन करना न भूलें।

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केदारनाथ धाम किसने बनवाया है

कहा जाता है कि इस मंदिर को पहले पांडवों ने बनवाया था लेकिन विनाश के कारण वह मंदिर लुप्त हो गया। बाद में आदि शंकराचार्य ने इसका निर्माण करवाया। केदारनाथ मंदिर से आधा किलोमीटर दूर स्थित मंदिर से भैरवनाथ केदारनाथ की रक्षा करते हैं, ऐसी मान्यता है।

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केदारनाथ में स्वर्ग से हवा आती है

यह भी कहा जाता है कि केदारनाथ में आने वाली हवा सीधे स्वर्ग से आती है। इसलिए आपको एक बार इस धरती पर स्थित स्वर्ग के दर्शन जरूर करने चाहिए।

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केदारनाथ धाम कैसे जाएं

केदारनाथ धाम जाने के लिए सबसे पहले ऋषिकेश जाना होगा। वहां से बस या टैक्सी से गुप्तकाशी जा सकते हैं। गुप्तकाशी से सोनप्रयाग या गौरीकुंड तक बस या टैक्सी आराम से मिल जाएगी हैं। गौरीकुंड से केदारनाथ तक लगभग 14 किलोमीटर दूर है। जहां की यात्रा पैदल करनी होती है, जबकि सोनप्रयाग से यह दूरी लगभग 21 किलोमीटर है। गौरीकुंड या सोनप्रयाग से पैदल यात्रा केदारनाथ धाम की मुख्य यात्रा होती है। यदि पैदल नहीं चल सकते हैं तो हेलीकॉप्टर यात्रा करें। यहां के लिए ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर पहले से बुकिंग करेंगे। साथ ही आप पालकी या फिर घोड़ा-खच्चर सेवा से भी यहां पहुंच सकते हैं।

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केदारनाथ धाम के लिए रजिस्ट्रेशन

केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बिना यात्रा संभव नहीं है। आप ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों तरह से इसे कर सकते हैं। सबसे पहले आपको त्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की वेबसाइट  registrationandtouristcare.uk.gov.in पर जाना होगा। जहां रजिस्ट्रेशन से जुड़ी हर जानकारी मिल जाएगी। इसके अलावा ऋषिकेश और हरिद्वार में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन केंद्र भी मौजूद हैं। रजिस्ट्रेशन के दौरान आधार कार्ड वेरिफिकेशन होना जरूरी है। बता दें, रजिस्ट्रेशन अप्रैल से मई के बीच किये जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि किसी तरह की आपदा आने पर आपकी जानकारी सरकार के पास हो।

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केदारनाथ धाम में रूकने की जगह

केदारनाथ धाम यात्रा के दौरान कई तरह के होटल आपको मिल जाएंगे। इसके अलावा आप गौरीकुंड या फिर सोनप्रयाग में बेस कैंप में ठहर सकते हैं। सोनप्रयाग का मौसम सुहावना होता है। जहां से आप सुबह अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा केदारनाथ के पास भी बेस कैंप में टेंट की सुविधा होती है। अगर टेंट में नहीं रहना चाहते हैं तो गुप्तकाशी, रुद्रप्रयाग, ऋषिकेश में होटल ले सकते हैं।

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