Garh Ganesh Temple Jaipur: गणेश चतुर्थी का पर्व आने वाला है और इस दिन न सिर्फ लोग घरों में गणेश जी का स्वागत कर स्थापित करते हैं, बल्कि उनके प्रमुख मंदिरों में दर्शन के लिए भी जाते हैं। ऐसे में आज गणेश जी के खास मंदिर के बारे में बताएंगे।
Story Behind Trunkless Ganesha Idol: गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ और ‘संकटमोचन’ कहा जाता है, और उनकी पूजा हर शुभ कार्य की शुरुआत से पहले की जाती है। आमतौर पर हम गणेश जी की मूर्तियों में उन्हें सूंड के साथ देखते हैं, लेकिन राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां गणपति बप्पा बिना सूंड के स्वरूप में विराजमान हैं। इस मंदिर का नाम है-गढ़ गणेश मंदिर। इसे देखने और दर्शन करने के लिए भक्तों को 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। अगर आप भी बप्पा के भक्त हैं, तो इस गणेश चतुर्थी पर जाएं और गणेश जी की दर्शन कर कृपा प्राप्त करें।
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मंदिर का इतिहास
गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। कहते हैं कि जब जयपुर शहर की नींव रखी जा रही थी, तभी ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर उन्होंने यहां गणेश जी की स्थापना करवाई थी। यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना माना जाता है और इसकी मान्यता है कि यहां गणेश जी का स्वरूप उसी रूप में है, जैसा माता पार्वती ने उन्हें जन्म दिया था- यानी बिना सूंड के।
गढ़ गणेश मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर में नाहरगढ़ किले के पास, अरावली की पहाड़ियों पर बसा हुआ है। यह मंदिर शहर के बीचों बीच ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को लगभग 365 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। ऊपर पहुंचने पर न केवल गणपति बप्पा के दर्शन होते हैं बल्कि पूरे पिंक सिटी का खूबसूरत नजारा भी दिखाई देता है।
गणेश चतुर्थी के समय गढ़ गणेश मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। जयपुर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से यह मंदिर करीब 7–8 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां तक पहुंचने के लिए आप ऑटो, कैब या स्थानीय बस का सहारा ले सकते हैं। हालांकि आखिरी रास्ता पैदल ही तय करना पड़ता है क्योंकि मंदिर तक पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़ना जरूरी है, इसके लिए कोई लिफ्ट सुविधा नहीं है।
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मंदिर और मूर्ति की खासियत
गढ़ गणेश मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यहां गणेश जी बिना सूंड वाले स्वरूप में विराजित हैं। मान्यता है कि यह स्वरूप अद्वितीय है और पूरे भारत में ऐसी मूर्ति कहीं और नहीं मिलती। मंदिर का प्रांगण विशाल है और त्योहारों के समय इसे रंग-बिरंगी सजावट से सजाया जाता है। यहां हर साल गणेश चतुर्थी पर भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से भक्त शामिल होते हैं।