1600 वर्ष पहले तैयार किया गया था नेपाल का सबसे पुराना मंदिर, लकड़ियों में सजाई गई हैं कलाकृति

Published : Sep 08, 2025, 05:45 PM IST
nepal oldest temple changu narayan

सार

Nepal Oldest Temple: नेपाल का चांगुनारायण मंदिर सबसे प्राचीन हिंदू मंदिर माना जाता है। चौथी शताब्दी में बने इस मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति, लकड़ी की नक्काशी और धार्मिक आयोजन इसे खास बनाते हैं।

Changu Narayan Temple: नेपाल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, ऊंचे पहाड़ों, बौद्ध धर्म के संस्थापक बुद्ध जन्मस्थली लुम्बिनी और सालों पुराने मंदिरों के कारण प्रसिद्ध है। इनमें से एक मंदिर है चांगुनारायण मंदिर, जिसे नेपाल का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण चौथी शताब्दी यानी कि आज से लगभग 1600 वर्ष पहले किया गया था। कुछ कारणों के बाद इस मंदिर को दोबारा 1702 ईसवी में बनवाया। यह मंदिर इतना पुराना है कि इस लोग दर्शन करने के लिए यहां जरूर आते हैं। आईए जानते हैं चांगुनारायण मंदिर की खासियत के बारे में।

बेहद खास है चांगुनारायण मंदिर का इतिहास

चांगुनारायण मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इस मंदिर को चम्पक नारायण तथा गरुड़ नारायण नाम से भी जाना जाता है। नेपाल के इतिहास में 300 ई.सा. पूर्व लिच्छवी राजाओं के समय में इस मंदिर का नाम डोला शिखर स्वामी था। इस मंदिर में शेषनाग भगवान के साथ विष्णु भगवान की मूर्ति रखी गई है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आकर मंदिर में दर्शन करते हैं। चांगुनारायण मंदिर का निर्माण लिच्छवीकाल में राजा हरिदत्त वर्मा ने कराया था। 

 

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लकड़ी की खूबसूरत नक्काशी से सजा है मंदिर

सालों पुराने मंदिर में लोहे से कहीं ज्यादा लकड़ी का काम कराया गया है। लकड़ी के खंभों में भगवान विष्णु के दस अवतारों के साथ हिंदू देवताओं और धार्मिक कथाओं की नक्काशी की गई है। वहीं मंदिर में दरवाजा में लोहे का इस्तेमाल किया गया है ताकि इसे मजबूती मिल सके। इस मंदिर में समय-समय पर रंग रोगन सहित अन्य कार्य होते रहते हैं ताकि मंदिर सुंदर दिखे। 

मंदिर में किए जाते हैं विशेष कार्यक्रम

मंदिर में नाग पंचमी, कृष्ण जन्माष्टमी, पूर्णिमा आदि मौकों पर पूजा अर्चना की जाती है। दूर स्थानों ने लोग पूजा करने आते हैं। हरतालिका तीज में नेपाल में हिंदू नारियों खास तौर पर व्रत रखती हैं और शिव मंदिर के प्रांगड़ में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मंदिर पर मेले के साथ जात्राएं वार्षिक रूप से होती हैं। जिसमें वैशाख, कृष्ण पक्ष की अष्टमी, श्रावण, शुक्ल द्वादशी और पूर्णिमा विशेष है।

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