बालाघाट में पंचायत के रोकने के बावजूद बेटियों ने अपनी मां का अंतिम संस्कार किया। पंचायत चाहती थी कि अंतिम संस्कार किसी रिश्तेदार को बुलाकर कराया गया। महिला के 4 बेटियां हैं। उसके कोई बेटा नहीं था। बेटियों ने तर्क दिया कि उनके होते मां को मुखाग्नि दूसरा कोई क्यों देगा? आखिरकार पंचायत को झुकना पड़ा और बाद में पूरा गांव अंतिम यात्रा में शामिल हुआ।
बालाघाट, मध्य प्रदेश. यहां पंचायत के रोकने के बावजूद बेटियों ने अपनी मां का अंतिम संस्कार किया। पंचायत चाहती थी कि अंतिम संस्कार किसी रिश्तेदार को बुलाकर कराया गया। महिला के 4 बेटियां हैं। उसके कोई बेटा नहीं था। बेटियों ने तर्क दिया कि उनके होते मां को मुखाग्नि दूसरा कोई क्यों देगा? आखिरकार पंचायत को झुकना पड़ा और बाद में पूरा गांव अंतिम यात्रा में शामिल हुआ। बेटियों का कहना था कि मां का अंतिम संस्कार करना उनका फर्ज है और उन्हें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता।
पंचायत ने बेटियों की बात मानी..
मामला भंडामुर्री गांव का है। यहां रहने वालीं प्रमिला का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। वे अकेली रहती थीं। उनकी चारों बेटियां शादी के बाद अपनी ससुराल में थीं। पंचायत को चिंता हुई कि उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा? इस बीच मां के निधन की खबर सुनकर चारों बेटियां ससुराल से मायके पहुंचीं। उन्होंने मां का अंतिम संस्कार करने की ठानी। इस पर पंचायत ने आपत्ति ली। पंचायत बैठाई गई। लेकिन बेटियां नहीं मानीं, तो पंचायत को झुकना पड़ा। बाद में प्रमिला की बेटियों कृष्णा, लक्ष्मी, मंजुलता और दुर्गेश्वरी ने मां का अंतिम संस्कार किया। इस मौके पर पूरा गांव मौजूद था।