मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 17 सितंबर को नमीबिया से आने वाले 8 चीतों के लिए भेजे गए स्पेशल वाहकविमान की लैंडिंग अब राजस्थान के जयपुर की बजाए ग्वालियर में होगी। इसकी जानकारी पूरे कार्यक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने दी है।
भोपाल.नामीबिया से आठ चीतों के निर्धारित आगमन से एक दिन पहले, अधिकारियों ने खुलासा किया कि इन फेलिनों को ले जाने वाले विशेष मालवाहक विमान के लैंडिंग लोकेशन को बदल दिया गया है। इनको अब राजस्थान के जयपुर की बजाए मध्य प्रदेश में ग्वालियर में ही लाया जाएगा। नमीबिया से इन चीतों को मंगाने के लिए भारत सरकार की तरफ से एक स्पेशल विमान तैयार कर भेजा गया था। पहले इसे राजस्थान के जयपुर में लैंड कराना था पर अब इसे एम पी के ग्वालियर जिले मे ही लैंड कराया जाएगा।
शनिवार के दिन विशेष हेलीकॉप्टर से कूनो पार्क ले जाएंगे
नमीबिया से आने वाले इन चीतों को शनिवार तड़के ग्वालियर ले जाया जाएगा, जहां से उन्हें एक विशेष हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) ले जाया जाएगा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनमें से तीन को पार्क में छोड़ देंगे। दरअसल 17 सितंबर के दिन देश के प्रधानमंत्री का जन्मदिन है। इस दिन वे खुद कूनो नेशनल पार्क में मौजूद रहकर इन चीतों के पिंजड़ों का लीवर दबाकर छोड़ेंगे।
पहले जयपुर आना था अब ग्वालियर आएंगे
योजना से जुड़े प्रधान वन संरक्षक(PCCF) जेएस चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले की योजना के अनुसार, इन जानवरों को ले जाने वाला विशेष विमान अफ्रीकी देश से जयपुर में उतरना था, जहां से उन्हें केएनपी भेजा जाना था। लेकिन शुक्रवार के दिन हुई मीटिंग में निर्णय लिया गया कि चीते ग्वालियर पहुंचेंगे और वहां से उन्हें केएनपी के लिए एक विशेष हेलीकॉप्टर में भेजा जाएगा।"
नेशनल पार्क के अंदर बने हैलीपैड में उतरेंगे चीते
मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि अफ्रीका से आने वाले आठ चीतों - पांच फीमेल और तीन मेल को नामीबिया की राजधानी विंडहोक से एक अनुकूलित बोइंग 747-400 विमान में ग्वालियर हवाई अड्डे पर लाया जाएगा। इसके बाद उन्हें ग्वालियर से भारतीय वायु सेना (आईएएफ) चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर में केएनपी हेलीपैड में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। आपको बता दे कि श्योपुर में 7 हेलीपैड बनाए जा रहे हैं। इसमें से 3 नेशनल पार्क के भीतर बने हुए है, जिनका उपयोग करते हुए हेलीकॉप्टर यहां लैंड करेगा।
70 साल बाद फिर दिखेंगे चीते
कभी चीतो का गढ़ माने जाने वाले देश में राजघरानों के शिकार के कारण इनकी प्रजाति विलुप्त हो गई थी। लेकिन अब एक बार फिर अफ्रीका देश की मदद से यहां के लोगों को 70 साल बाद फिर से चीते देखने को मिलेंगे। भारत में आखिरी चीते की मौत छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी। तब यह मध्यप्रदेशक का हिस्सा था। जो अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य में चला गया था। 1947-48 ही वह दौर था जब यहां चीता देखा गया था, इसके बाद 1952 में इन्हें विलुप्त घोषित कर दिया गया। इसके बाद साल 2009 में 'अफ्रीकी चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया' की कल्पना की गई लेकिन कोविड के कारण सब काम ठप्प पड़ गया। अब 2022 में नामीबिया में मुख्यालय और जंगली में चीता को बचाने के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन की मदद से पांच मादा चीता की उम्र दो से पांच साल के बीच है और नर चीता की उम्र 4.5 के बीच है। उनको भारत को सौंपे है।