राम मंदिर भूमि पूजन में नहीं जाएंगी उमा भारती, बोलीं-PM मोदी के लिए चिंतित हूं..बताई ये खास वजह

दो दिन बाद 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर की भूमि पूजन होगी। इस बीच भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता उमा भारती ने भूमि पूजन  में शामिल न होने का फैसला किया है। उन्होंने  ट्वीट करते हुए कहा-मैं पीएम नरेंद्र मोदी जी के  स्वास्थ्य लिए चिंतित हूं

भोपाल (मध्य प्रदेश). दो दिन बाद 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर की भूमि पूजन होगी। इस बीच भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता उमा भारती ने भूमि पूजन  में शामिल न होने का फैसला किया है। उन्होंने  ट्वीट करते हुए कहा- 'कल जब से मैंने अमित शाह जी और यूपी बीजेपी के नेताओं के बारे में कोरोना पॉजिटिव होने की बात सुनी तभी से मैं अयोध्या में मंदिर के शिलान्यास में उपस्थित लोगों के लिए खासकर पीएम नरेंद्र मोदी जी के लिए चिंतित हूं।

मेहमानों की सूची से नाम हटाने की अपील
उमा भारती ने कहा इस संबंध में मैंने राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ अधिकारियों और प्रधानमंत्री कार्यालय से अपील की है कि वह 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के स्थापना समारोह के लिए आमंत्रितों की सूची से मेरा नाम हटा दें। उन्होंने कहा-इस दौरान वह सरयू तट पर ही रहेंगी और कार्यक्रम समाप्त होने के बाद राम लला के दर्शन करने जाएंगी। 

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पीएम मोदी के लिए हूं ज्यादा चिंतित
बता दें कि उमा भारती ने कहा में आज सोमवार के दिन भोपाल से रवाना हो जाऊंगी। लेकिन अयोध्या नहीं जाएंगी, क्योंकि वहां पर वह किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ सकती हैं, क्योंकि वहां पर हजारों लोग मौजूद होंगे। फिर उनकी मुलाकात पीएम मोदी से भी होगी, इसलिए मैं उस स्थान से पूजन होने के बाद तक दूरी बनाकर रखूंगी।

अमित शाह ने खुद थी पॉजिटिव होने की जानकारी
बता दें कि रविवार को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसकी जानकारी उन्होंने खुद पर ट्वीट पर दी थी, उन्होंने कहा था मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है, लेकिन डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया है।  अमित शाह ने ट्वीट करते कहा था कि मेरे संपर्क में आए लोगों से अपील करता हूं  कि वह भी अपनी कोरोना जांच कराएं।

मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहीं हैं उमा भारती
बता दें कि उमा भारती 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहीं हैं। उन्होंने इसके लिए कई सालों तक संघर्ष भी किया है।उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह जब 28 साल की थीं, तब 1990 में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के मार्गदर्शक मंडल की सदस्य बनीं थीं। इसके लिए मैं जेल तक गई हूं।  लेकिन कोरोना का ऐसा डर कि वह अयोध्या में रहते हुए भी शिलान्यास कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगी। 
 

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