खरगोन में रामनवमी हिंसा के दौरान पत्थर फेंकने की आरोपी बुर्का पहनी औरत क्यों पुलिस के सामने कर रही उठकबैठक?

मध्य प्रदेश के ख्ररगोन में रामनवमी जुलूस के दौरान दो संप्रदायों के बीच बवाल हुआ था। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बुर्का पहने महिला का उठक-बैठक करते हुए वीडियो वायरल हो रहा जिसे खरगोन में पत्थर फेंकने का आरोपी बताया जा रहा है। क्या है इस दावे का सच...

Dheerendra Gopal | Published : Apr 22, 2022 12:39 AM IST

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर अति संवेदनशील विषयों पर पर भी फर्जी वीडियो शेयर करने से लोग नहीं चूक रहे हैं। शेयर करने के साथ साथ बिना उसके हकीकत जाने इसे खूब शेयर और ट्विट भी किया जा रहा है। बीते 10 अप्रैल को मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर हुई हिंसा को लेकर भी तमाम वीडियो भी सोशल मीडिया पर है। कई वीडियो के सत्यता की जानकारी हासिल होना शेष ही है। 

बुर्का पहने महिला को पत्थर फेंकने के आरोप में पकड़ कराया उठापटक

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दरअसल, मध्य प्रदेश के खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस पर पथराव करने के लिए महिला को दंडित किए जाने के दावे के साथ सोशल मीडिया पर बुर्का पहने महिला को सड़क पर धरना देते हुए पुलिसकर्मियों के एक समूह का एक वीडियो प्रसारित किया गया था। वीडियो के कीफ्रेम की रिवर्स सर्च से हमें कम से कम अप्रैल 2020 से कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं द्वारा साझा किया गया वही वीडियो मिला।

कनेक्ट गुजरात फेसबुक पेज पर भी यह वीडियो लेकिन...

रिवर्स सर्च करने पर हमें “कनेक्ट गुजरात” नामक एक फेसबुक पेज पर एक पोस्ट मिला। 16 अप्रैल, 2020 को फेसबुक पेज ने उसी वीडियो को साझा किया और दावा किया कि यह एक महिला को सूरत का सलाबतपुरा में लॉकडाउन प्रतिबंध तोड़ने के लिए दंडित किया जा रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो अप्रैल 2020 का था जब कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रीय लॉकडाउन की गई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिला को लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने के लिए दंडित किया गया था।
सूरत के एक यूट्यूब चैनल ने भी इसी वीडियो को 16 अप्रैल, 2020 को शेयर किया था।

वीडियो कम से कम दो साल पुराना, पूरी तरह गलत तथ्य 

10 अप्रैल को मध्य प्रदेश के खरगोन में एक रामनवमी जुलूस के दौरान पथराव हुआ, जिससे सांप्रदायिक झड़पें हुईं। घटना के दौरान पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ चौधरी को भी गोली लगी। हालांकि, यह स्पष्ट है कि प्रचलन में वीडियो कम से कम दो साल पुराना है और खरगोन हिंसा से संबंधित नहीं है। इसके फर्जी तरीके से खरगोन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है। यह खरगोन से संबंधित नहीं है।

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