
भोपाल, मध्य प्रदेश. 25 जून, 1975 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था। इस दौरान उनके छोटे बेटे संजय गांधी ने जनसंख्या पर काबू करने 62 लाख पुरुषों की जबर्दस्ती नसबंदी करा दी थी। इस ऑपरेशन में करीब 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद के चुनावों में विपक्ष ने एक नारा दिया था- 'जमीन गई चकबंदी में, मकान गया हदबंदी में, द्वार खड़ी औरत चिल्लाए, मेरा मरद गया नसबंदी में!' नसबंदी अभियान का यही शिगूफा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फिर से छेड़ दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को हर महीने 5-10 पुरुषों की नसबंदी कराने का कड़ा आदेश दिया था। टार्गेट पूरा न करने वाले कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति तक देने की बात कही गई थी। बता दें कि कमलनाथ संजय गांधी के करीबियों में शुमार रहे हैं। इसी नसबंदी अभियान के चलते जनता ने 1977 में इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल कर दिया था। अब कमलनाथ के आदेश से यह मुद्दा फिर से गहरा गया है। हालांकि विवाद बढ़ने पर सरकार ने आदेश वापस ले लिया।
जानें क्या था आदेश में...
कमलनाथ सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को कड़ा आदेश दिया था कि वे हर महीने 5 से 10 पुरुषों की नसंबदी कराएं। ऐसा न हो पाने पर नो-वर्क, नो-पे के आधार पर वेतन रोक लिया जाएगा। अनिवार्य सेवानिवृत्ति तक दी जा सकती है। इस आदेश ने तूल पकड़ लिया था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस सरकार के इस आदेश की तुलना आपातकाल के दौरान संजय गांधी के नसबंदी अभियान से तक कर दी।
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