'मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (mppsc)' के एग्जाम में भील आदिवासियों को अपराधी और शराबी बताए जाने के सवाल पर मध्य प्रदेश में बवाल हो गया है। इस प्रश्न पत्र को लेकर सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई गई है।
भोपाल, मध्य प्रदेश. रविवार को यहां हुए 'मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (mppsc)' के एग्जाम में भी समुदाय को लेकर एक सवाल में की गई अपमानजनक टिप्पणी को लेकर बवाल हो गया है। इसे लेकर कई विधायकों ने आपत्ति जताई है। प्रश्न पत्र के एक गद्यांश में लिखा गया-'भील वधू मूल्य रूपी पत्थर से बंधी शराब के अथाह सागर में डूबती जा रही जनजाति है। ऊपर से साहूकारों व महाजनों द्वारा दिए गए ऋण का बढ़ता ब्याज इस समन्दर में बवण्डर का काम करता है, जिसके कुचक्र से ये लोग कभी बाहर नहीं निकल पाते। भीलों की आपराधिक प्रवृत्ति का भी एक प्रमुख कारण यह है कि सामान्य आय से अपनी देनदारियां पूरी नहीं कर पाते।'
उठे विरोध के सुर..
इस प्रश्न पत्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले भाजपा विधायक राम दांगोरे ने इसे समुदाय का अपमान कहा है। वे खुद भी इस एग्जाम में बैठे थे। 30 वर्षीय दांगोरे पंधाना से विधायक हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिस व्यक्ति ने यह पेपर सेट किया है, उसे खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उल्लेखनीय है कि भारत में 1.6 करोड़ से ज्यादा भील रहते हैं। मध्य प्रदेश में इनकी संख्या 60 लाख है। साथ ही प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। इनमें 11 आदिवासी विधायक भाजपा से हैं।
कांग्रेस विधायक ने भी जताई आपत्ति..
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट करके आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि भील समाज पर अशोभनीय टिप्पणी से वे आहत हैं। जिसने यह पेपर बनाया, उसे सजा मिलनी ही चाहिए। वहीं, मुख्यमंत्री को भी सदन में खेद व्यक्त करना चाहिए।