5 साल के मासूम को नहीं मालूम कि उसे हुआ क्या है, मां लाडले की फिक्र में लगातार रोये जा रही

यह है 5 साल का ओम। इस बच्चे के इलाज पर 25 लाख रुपए खर्च होंगे। बावजूद गारंटी नहीं कि वो देख पाएगा कि नहीं। मिनिस्टर ने इलाज कराने का वादा किया था, लेकिन सरकारी तंत्र ने मां-बाप को रुलाकर रख दिया है।

भोपाल, मध्य प्रदेश. 5 साल का ओम विश्वकर्मा वेस्कुलर ट्यूमर से पीड़ित है। उसकी आंखें बाहर निकल आई हैं। अगर इलाज नहीं हुआ, तो जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। मासूम को नहीं मालूम कि उसे क्या हुआ है? लेकिन वो टूटी-फूटी बोली में मां से पूछता रहता है कि क्या वो मर जाएगा? यह सुनकर मां का कलेजा फट पड़ता है। पिता कौने में छुपकर रोने लगता है। बच्चे के इलाज पर 25 लाख रुपए खर्च होने हैं। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने वादा किया था कि बच्चे का इलाज सरकार कराएगी। लेकिन लेटलतीफी के कारण मां-बाप बच्चे को लेकर हास्पिटल-दर-हॉस्पिटल भटक रहे हैं।


माया फाउंडेशन अपने वादे से मुकरा..
बेंगलुरु के बीजीएस ग्लोबल हॉस्पिटल और माया फाउंडेशन ने चांदबड़ निवासी ओम का नि:शुल्क इलाज करने का वादा किया था। ओम के परिजन उसे लेकर 10 फरवरी को बेंगलुरु गए थे। लेकिन वहां संस्था ने कहा कि 6 दिन में एप्रूवल मिलने पर इलाज शुरू किया जाएगा। लेकिन उसमें देरी होते देख परिजन घबरा गए और ओम की हालत को देखते हुए गुरुवार रात वापस भोपाल लौट आए। अब एम्स में इलाज की उम्मीद को लेकर शुक्रवार को नई दिल्ली रवाना हो गए। यह मामला लगातार मीडिया उठाता रहा है, ताकि बच्चे की जिंदगी बच जाए। बच्चे के माता-पिता ने कहा कि अब वे एम्स में इलाज का एस्टीमेट बनवाएंगे, ताकि स्वास्थ्य विभाग की मदद से बच्चे का इलाज शुरू हो सके।

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मंत्रीजी भूल गए थे वादा
चांदबड़ में एक झुग्गी में रहने वाला यह परिवार बच्चे के इलाज पर अपनी सारी जमां-पूंजी लगा चुका है। 25 जनवरी को यह परिवार एक आस लेकर मप्र के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट से मिला। बच्चे की हालत देखकर मंत्रीजी भी भावुक हो उठे। उन्होंने वादा किया कि बच्चे का इलाज सरकार कराएगी, लेकिन बात आई गई हो गई। अब पिछले एक महीने से बच्चे का पिता विभिन्न दफ्तरों के चक्कर काट रहा है, ताकि बच्चे को बचाया जा सका।

भगवान निकले निष्ठुर..
बच्चे की मां ने रूंधे गले से बताया कि अब उससे अपने बच्चे की हालत देखी नहीं जाती। स्वास्थ्य मंत्री के वादे के बाद वे लोग बच्चे को लेकर हमीदिया हॉस्पिटल गए थे। वहां डॉक्टरों ने कोई तवज्जो नहीं दी। तीन दिन बच्चे को भर्ती रखा और फिर छुट्टी कर दी। बताते हैं कि बच्चा अब कभी देख नहीं पाएगा। मां-बाप को अब बस उसकी जान बचाने की उम्मीद है। हालांकि 7 फरवरी को मंत्री फिर बोले कि बच्चे के इलाज अवश्य कराया जाएगा। जरूरत पड़ी, तो उसे बाहर इलाज के लिए भेजा जाएगा।

खेलते-खेलते बाहर निकल आईं आंखें
21 दिसंबर की रात खेलते-खेलते अचानक उसकी बाईं आंख बाहर निकल आई थी। परिवार के सभी लोग बेटे की हालत देख घबरा गए। जब वह सुबह एक निजी डॉक्टर के पास लेकर गए, तो उनको एक आई ड्राप दे दिया गया। लेकिन हालत बिगड़ती चली गई और उसकी दोनों आंखे बाहर आ गईं। इसके बाद वो बच्चे को हमीदिया अस्पताल लेकर गए। जहां डॉक्टरों ने कहा-आपके बेटे को वेस्कुलर ट्यूमर है। 

 

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