इंदौर में रिश्ते हुए शर्मसारः बेटा बहू कराते थे नौकर जैसा काम, फैमिली कोर्ट ने अब किया न्याय

मध्यप्रदेश के इंदौर जिलें से रिश्ते को शर्मिंदा करने वाली खबर सामने आ रही है। जहां 4-4 बेटे होने के बाद भी बूढ़े माता पिता को मांग कर खाना पड़ता था। फैमिली कोर्ट ने न्याय दिलाते हुए भरण- पोषण के लिए रुपए देने का आदेश दिया है।
 

इंदौर. मध्यप्रदेश के इंदौर जिलें से एक ऐसी खबर निकल कर सामने आई है, जिसने भी पढ़ा उसकी आंखे एक बार को तो शर्म से झुक जाएं। दरअसल जिन मां- बाप ने जीवन जीने के काबिल बनाया, अपने बुढ़ापे की लाठी के रूप में देखा, उन्ही औलादों ने ऐसे माता- पिता को जमाने में ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया। मामला इंदौर जिलें का है जहां 4-4 औलादें होने के बाद भी बुढ़े मां-बाप दाने दाने के लिए मौताज थे। बहू बेटे घर में नौकर जैसा काम करवाते, खाना देने के नाम पर मारपीट करते थे। पहले तो कई सालों तक उनकी यातनाएं सही पर जब पानी सर से ऊपर निकल गया तब कहीं जाकर कोर्ट की शरण ली। अब न्यायालय ने बेटों को आदेश दिया है कि वह उनके भरण- पोषण के पैसे देंगे।

क्या फैसला दिया कोर्ट ने
फैमिली कोर्ट ने चारों बेटों को भरण-पोषण के 1.92 लाख रुपए देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सभी बेटें मिलकर 1500 रुपए प्रति माह प्रत्येक से  तो इस तरह कुल 6 हजार रुपए प्रति महीने मां- बाप को देना होगा। इसके अलावा कोर्ट में दाखिल किए केस में खर्च के 2 हजार रुपए देने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि बूढ़े माता- पिता की सेवा करन बच्चो की नैतिक जिम्मेदारी है। पीड़ित दंपती इस फैसले के बाद राहत महसूस कर रही है। उन्होंने कहां कि हमारी संतानें ही बेकार है, जिन्होंने हमारे साथ नौकरों जैसा बर्ताव किया। खाना देने के नाम पर मारपीट करते और कहते काम करोगे तो ही खाने को मिलेगा। आगे बताया कि ऐसी औलादों ने हमें दर दर भटकने को मजबूर कर दिया, पर कोर्ट ने हमारे साथ न्याय किया है।  जिन मां-बाप ने बेटों को इतना काबिल बनाया उनका ऐसा रवैया विचारणीय है।

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लंगरों और भंडारों में जाकर भोजन करते थे
बहू बेटों की यातनाओं से त्रस्त भूखे माता- पिता अपना पेट भरने के लिए कभी अपनी रिश्तेदारों या परिवार वालों के पास चले जाते तो इस नाराज आरोपी बेटे बहुओं ने  झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर उनके घर जाने से मनाकर दिया। इसके बाद पेट भरने के लिए वे लोग भंडारे में जाने लगे। उन लोगों के पास पैसे नहीं होते तो कभी रिश्तेदारों से मिले रुपयों से पाटनीपुरा में सांई बाबा मंदिर के भोजनालय में 5 रुपए की रसीद लेकर खाना खा लेते। 

नौकरों जैसा करते थे बर्ताव 
पीड़ित दंपती ओमप्रकाश और सूरजा एक संपन्न परिवार से आते है। उनका दो मंजिला मकान था। बड़ा बेटा टेलरिंग की कंपनी चलाता है, तो मझला बेटा ट्रेजर आइलैंड में नौकरी करता है। वहीं तीसरा बेटा इलेक्ट्रिशयन है, और चौथा बेटा भी जॉब में है। इतना होने के बाद भी उनसे घर पर नौकरों जैसा बर्ताव किया जाता था। और जब से उन्होंने घर बच्चों के नाम किया तब से तो और बुरा बर्ताव होने लगा। दो दो मंजिला तक पानी भरवाते, झाड़ू पोछा करवाते इसके साथ ही बीमार पड़ने पर इलाज भी नहीं कराते थे। 

वकील के संपर्क में आने पर जगी उम्मीद
पीड़ित  दंपती जब परेशान हो गए तो किसी तरह नवंबर 2019 में उनकी मुलाकात एडवोकेट कृष्ण कुमार कुन्हारे से हुई तो उन्होंने उन्हें अपनी पीड़ा बताई। इसके बाद दंपती ने वकील के माध्यम से चारों बेटों के खिलाफ भरण-पोषण को लेकर फैमिली कोर्ट में याचिका लगाई। इस याचिका में सुनवाई करने के बाद शुक्रवार 29 जुलाई के दिन कोर्ट ने इस मामले में चारों बेटों को भरण पोषण का आदेश दिया। इससे माता-पिता को अब राहत मिलने वाली है।

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