स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल से इंदौर बनेगा "साइलेंट सिटी ऑफ इंडिया", प्रेशर हॉर्न, डीजे आदि पर लगेगा प्रतिबंध

जिलाधिकारी ने बताया कि मशीनी तंत्र को इस तरह रखा जायेगा कि लगातार हॉर्न बजाये जाने पर निर्धारित मानक से अधिक ध्वनि उत्पन्न होने से ट्रैफिक सिग्नल पर लाल बत्ती का समय अपने आप बढ़ जायेगा। यानी वाहन चालक जितना ज्यादा हॉर्न बजाएंगे, उन्हें ट्रैफिक सिग्नल पार करने के लिये उतना ज्यादा इंतजार करना होगा।
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 16, 2020 2:49 PM IST

इंदौर (मध्यप्रदेश). देश के सबसे साफ-सुथरे शहर इंदौर में दिनों-दिन बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिये प्रशासन ने इसे साल भर में "साइलेंट सिटी ऑफ इंडिया" बनाने का बीड़ा उठाया है। इस लक्ष्य के तहत ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर नियंत्रण के साथ ही ऐसे "स्मार्ट" ट्रैफिक सिग्नल लगाये जायेंगे जो बेवजह हॉर्न बजाने वाले लोगों को अनोखे तरीके से सबक सिखायेंगे।

प्रेशर हॉर्न, डीजे और लाउड स्पीकर जैसे साधनों का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा

जिलाधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने रविवार को बताया, "हम इंदौर को ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति दिलाते हुए इसे मार्च 2021 तक साइलेंट सिटी ऑफ इंडिया के रूप में ख्याति दिलाना चाहते हैं। हालांकि, यह एक अनाधिकारिक तमगा है।’’ उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ, वृद्धाश्रमों, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों और कुछ अन्य स्थानों के आस-पास 39 "शांत परिक्षेत्र" घोषित किये गये हैं जहां प्रेशर हॉर्न, डीजे और लाउड स्पीकर जैसे साधनों का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा।

तेज हॉर्न को पकड़ने के लिए ट्रैफिक सिग्नल पर लगेंगे डेसिबल मीटर

जाटव ने बताया, "शहर में शादी समारोहों के दौरान तेज आवाज में डीजे बजाये जाने से खूब ध्वनि प्रदूषण होता है। इस पर रोक लगाने के लिये अलग-अलग जाति-समुदायों के संगठनों से चर्चा की जा रही है, ताकि डीजे स्वीकृत ध्वनि सीमा में ही बजाया जाये और रात को एक तय समय के बाद इसका उपयोग न किया जाये।" इंदौर में 30 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। शहर के अधिकांश इलाकों में घनी आबादी तथा संकरी सड़कों के कारण यातायात जाम की स्थिति रहती है और ट्रैफिक सिग्नलों पर वाहन सवारों को बेवजह हॉर्न बजाते देखा जा सकता है। ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिये प्रशासन मुंबई की तर्ज पर यहां "स्मार्ट" ट्रैफिक सिग्नल लगाने जा रहा है जो डेसिबल मीटरों से जुड़े रहेंगे।

जिलाधिकारी ने बताया कि मशीनी तंत्र को इस तरह रखा जायेगा कि लगातार हॉर्न बजाये जाने पर निर्धारित मानक से अधिक ध्वनि उत्पन्न होने से ट्रैफिक सिग्नल पर लाल बत्ती का समय अपने आप बढ़ जायेगा। यानी वाहन चालक जितना ज्यादा हॉर्न बजाएंगे, उन्हें ट्रैफिक सिग्नल पार करने के लिये उतना ज्यादा इंतजार करना होगा।

स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल मार्च से काम करना शुरू कर देगा

जाटव ने बताया, "शहर का पहला स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल डीआरपी लाइन इलाके में लगाया जायेगा। यह ट्रैफिक सिग्नल प्रायोगिक तौर पर मार्च से काम करना शुरू कर देगा।" अधिकारियों ने बताया कि शहर की सड़कों पर वाहनों की तादाद नियंत्रित करने के लिये लोक परिवहन सेवाओं का विस्तार किया जायेगा। नतीजतन हॉर्न बजाये जाने से होने वाले ध्वनि प्रदूषण में कमी आयेगी।

इंदौर को "साइलेंट सिटी ऑफ इंडिया" बनाने के लिये समाज के अलग-अलग तबकों के लोगों से ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के सुझाव भी मांगे जा रहे हैं।


(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(प्रतिकात्मक फोटो)

 

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