यहां बारिश के कहर से 10,000 करोड़ रुपए का नुकसान, 15 अगस्त से खुले हैं इस बांध के दरवाजे

मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने राज्य में मॉनसून के इस मौसम में अतिवृष्टि और बाढ़ से करीब 10,000 करोड़ रुपए के नुकसान का शुरुआती अनुमान लगाया गया है। प्रदेश के मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती ने कहा-जल्द प्रभावित लोगों को राहत और मुआवजा राशि बांटे जाने का सिलसिला जल्द से जल्द शुरू किया जायेगा।

Asianet News Hindi | Published : Sep 16, 2019 2:46 PM IST / Updated: Sep 16 2019, 08:17 PM IST

इंदौर. मध्य प्रदेश सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को बताया कि राज्य में मॉनसून के इस मौसम में अतिवृष्टि और बाढ़ से करीब 10,000 करोड़ रुपए के नुकसान का शुरुआती अनुमान लगाया गया है। राज्य के मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती ने इंदौर प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, "हमारी तैयार शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में अतिवृष्टि और बाढ़ से फसलों को करीब 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान का अनुमान है। इसके अलावा, लगभग 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान घरों, सड़कों, इमारतों और अन्य सरकारी तथा निजी संपत्तियों को हुआ है।" उन्होंने कहा, इस महीने के अंत तक तैयार होने वाली अंतिम रिपोर्ट में इसमें इजाफा हो सकता है।"

लापरवाही की बात को सिरे से किया खारिज
मोहंती ने बताया कि केंद्र सरकार की सहायता प्राप्त करने के लिये उसे अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रदेश में हुए नुकसान की शुरुआती रिपोर्ट भेजी जा रही है। केंद्र सरकार की एक टीम 19 और 20 सितंबर को प्रदेश का दौरा कर अतिवृष्टि और बाढ़ से भोपाल और उज्जैन संभागों में हुए नुकसान का जायजा लेगी। प्रभावित लोगों को राहत और मुआवजा राशि बांटे जाने का सिलसिला जल्द से जल्द शुरू किया जायेगा। चम्बल नदी पर बने गांधी सागर बांध के बैकवॉटर से मंदसौर और नीमच जिलों में अचानक आयी हालिया डूब से हजारों लोगों के प्रभावित होने के मामले में संबंधित अधिकारियों की लापरवाही की बात मुख्य सचिव ने सिरे से खारिज की।

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15 अगस्त से खुले हैं इस बांध के दरवाजे
उन्होंने कहा, "गांधी सागर बांध के दरवाजे 15 अगस्त से खुले हैं। इस बात की कल्पना कोई भी व्यक्ति नहीं कर सकता था कि पड़ोसी राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में इतनी भारी बारिश होगी कि इस बांध में आमतौर पर होने वाली चार लाख क्यूसेक पानी की आवक अचानक बढ़कर 16 लाख क्यूसेक पर पहुंच जायेगी।" मोहंती ने कहा, "अगर गांधी सागर बांध के दरवाजे 15 अगस्त से नहीं खोले जाते, तो बाढ़ का संकट और बढ़ सकता था। बांध के पानी के प्रबंधन के मामले में मंदसौर के जिलाधिकारी और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने गजब का काम किया है जिससे फिलहाल स्थिति कम भयावह है।"

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