शिवराज रहें या कमलनाथ का असर दिखे...प्रतिष्ठा सारी सिंधिया की दांव पर

मध्य प्रदेश की 19 जिलों की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को हुए उपचुनाव में ऊंट किस करवट बैठ रहा..इसका फैसला कुछ देर में हो जाएगा। इस चुनाव में शिवराज और कमलनाथ से ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सिंधिया के अपने गुट के विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद मप्र में जो सियासी स्थितियां बनीं, उसका भी पटाक्षेप हो जाएगा।

Asianet News Hindi | Published : Nov 10, 2020 2:33 AM IST / Updated: Nov 10 2020, 08:06 AM IST

भोपाल, मध्य प्रदेश. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में मची उथलपुथल को विराम लगने वाला है।  19 जिलों की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को हुए उपचुनाव में ऊंट किस करवट बैठ रहा..इसका फैसला कुछ देर में हो जाएगा। इस चुनाव में शिवराज और कमलनाथ से ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस चुनाव में 12 मंत्री और 2 पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। 

बता दें कि 28 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल से हैं।  यह सिंधिया का गढ़ माना जाता है। इनमें जौरा, सुमावली, मुरैना, अंबाह, दिमनी, पोहरी, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, मेहगांव, गोहद, बामोरी, अशोकनगर और मुंगावली हैं। सिंधिया के समर्थक सांची, सुरखी और सांवेर सीट से भी मैदान में हैं।  यह सिंधिया का गढ़ माना जाता है। सिंधिया के साथ 22 विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए थे। 

कुछ खास बातें..
मध्य प्रदेश में 46619 पोस्टल बैलेट डाले गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 3675 मेहगांव, जबकि सबसे कम 491 करैरा में पड़े
-अनूपपुर में सबसे कम 18 राउंड हैं। यहां रिजल्ट सबसे पहले आएगा
-32 राउंड वाली ग्वालियर पूर्व सीट का परिणाम सबसे बाद में आने की संभावना

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