मध्यप्रदेश में दंगाइयों की खैर नहीं..हड़ताल, बंद, प्रदर्शन के दौरान प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया तो होगी वसूली

Published : Jan 05, 2022, 11:15 PM IST
मध्यप्रदेश में दंगाइयों की खैर नहीं..हड़ताल, बंद, प्रदर्शन के दौरान प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया तो होगी वसूली

सार

गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह विधेयक ऐसे लोगों के लिए बनाया गया है, जो दंगे के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। घरों से पत्थर फेंकते हैं। अब ऐसे लोग अगर नहीं सुधरे तो उनके घरों से पत्थर निकाले जाएंगे। 

भोपाल : मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार अब दंगाइयों पर सख्त हो गई है। राज्य में दंगा करने वालों की अब खैर नहीं होगी। प्रदेश में सरकारी और निजी संपत्ति नुकसान की वसूली कानून लागू हो गया है। राज्य सरकार ने इसकी अधिसूचना बुधवार शाम जारी कर दी है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बाद ऐसा करना वाला मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) दूसरा राज्य हो गया है। अब सांप्रदायिक दंगे, हड़ताल, धरना-प्रदर्शन या जुलूस के दौरान किसी भी तरह की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ इस कानून के तहत एक्शन लिया जाएगा। 

क्या है कानून
बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में मप्र लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसान की वसूली (संशोधन) विधेयक 2021 विधानसभा में बहुमत से पारित हुआ था। अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे सरकार ने राज्य में लागू कर दिया है। इस कानून के मुताबिक अगर विरोध-प्रदर्शन के दौरान उन्होंने किसी सरकारी या निजी चल-अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, तो उनसे इतनी ही राशि की वसूली कर मालिक को दी जाएगी। यही नहीं, जरूरत पड़ने पर आरोपी की संपत्ति कुर्क भी की जाएगी।

पत्थरबाजों पर लेंगे एक्शन - गृहमंत्री
प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह विधेयक ऐसे लोगों के लिए बनाया गया है, जो दंगे के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। घरों से पत्थर फेंकते हैं। अब ऐसे लोग अगर नहीं सुधरे तो उनके घरों से पत्थर निकाले जाएंगे। ऐसे लोगों को इस कानून के दायरे में लाया गया है। ऐसे लोगों में अब कानून का भय रहेगा। जिससे राज्य की शांति व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी।

रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच
नए कानून के तहत एक ट्रिब्यूनल का गठन होगा। इसका अधिकार क्षेत्र प्रदेश के सभी जिलों तक रहेगा। इसमें रिटायर्ड जज को कमिश्नर बनाया जा सकता है। आईजी और सचिव रैंक के रिटायर्ड अफसर इसके सदस्य होंगे। धरना-प्रदर्शन और दंगों में सरकारी संपत्ति को नुकसान होने पर कलेक्टर और निजी संपत्ति को नुकसान होने पर संपत्ति मालिक ट्रिब्यूनल में जानकारी देंगे। जिसके बाद इसकी जांच की जाएगी।

दोषियों पर होगी कार्रवाई
ट्रिब्यूनल में जिला स्तर पर क्लेम कमिश्नर होगा, जिसका काम एडिशनल या डिप्टी कलेक्टर को सौंपा जाएगा। सरकारी संपत्ति के नुकसान की शिकायत कार्यालयीन अफसर और निजी संपत्ति की शिकायत मालिक करेगा। इसके आधार पर घटना में दोषियों के खिलाफ ट्रिब्यूनल कार्रवाई करेगा। उनसे वसूली कर सरकारी कोष या निजी व्यक्ति के खातों में राशि जमा कराएगी। इसकी अपील केवल हाईकोर्ट में ही होने का प्रावधान है। ट्रिब्यूनल को भू राजस्व संहिता के अधिकार होंगे। उसके तहत ही वे अपना काम करेंगे।

हाईकोर्ट भी जा सकेंगे
नए कानून के मुताबिक शिकायत के बाद क्लेम कमिश्नर मौके पर जाकर फोटो और नुकसान की रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को देंगे। इसी रिपोर्ट के आधार पर ट्रिब्यूनल फैसला देगा। क्लेम कमिश्नर उसका पालन कराएगा। ट्रिब्यूनल को मजबूती देने के लिए इसके फैसले को चुनौती सिर्फ हाईकोर्ट में ही दी जा सकेगी। वसूली देने में आनाकानी हुई, तो संबंधित व्यक्ति की संपत्ति की नीलामी भी हो सकती है। सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार इसमें जरा सी लापरवाही भी बर्दाश्त नहीं करेगी। बता दें कि यह कानून लागू करने वाला मध्यप्रदेश दूसरा राज्य बन गया है। इससे पहले यूपी में यह कानून लाया गया था।

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