मध्यप्रदेश में पुलिस-कमिश्नर सिस्टम देश के अन्य महानगरों जैसी ही होगी या उसे किन्हीं बदलावों के साथ लागू किया जाएगा, लेकिन यह तय है कि जिन शहरों में इसे लागू किया जाएगा वहां पुलिस आयुक्त प्रशासनिक निर्णय लेने में सक्षम होगा। इस सिस्टम के लागू होने से पुलिस को लाठीचार्ज और धारा 144 लागू करने के लिए कलेक्टर के आदेश का इंतजार नहीं करना होगा। इसके साथ ही गुंडों की जमानत का फैसला भी पुलिस कोर्ट में ही तय हो सकेगा।
भोपाल : मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) के 2 बड़े महानगरों भोपाल (Bhopal) और इंदौर (indore) में आखिरकार पुलिस-कमिश्नर प्रणाली लागू होने जा रही है। इस सिस्टम से पुलिस को मजिस्ट्रियल पावर मिल जाएगा। लंबे समय से चली आ रही कवायद के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने रविवार को इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहतर है, पुलिस अच्छा काम कर रही है। इस सिस्टम से अपराधियों पर और बेहतर नियंत्रण हो सकेगा। इससे इन दोनों शहरों में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेंन करने में काफी मदद मिलेगी। पुलिस को काफी अधिकार भी मिलेंगे। सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल अप्रैल तक यह सिस्टम लागू कर दिया जाएगा।
कैसी होगी प्रक्रिया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऐलान के बाद अभी यह तय होना बाकी है कि मध्यप्रदेश में पुलिस-कमिश्नर सिस्टम देश के अन्य महानगरों जैसी ही होगी या उसे किन्हीं बदलावों के साथ लागू किया जाएगा, लेकिन यह तय है कि जिन शहरों में इसे लागू किया जाएगा वहां पुलिस आयुक्त प्रशासनिक निर्णय लेने में सक्षम होगा। इस सिस्टम के लागू होने से पुलिस को लाठीचार्ज और धारा 144 लागू करने के लिए कलेक्टर के आदेश का इंतजार नहीं करना होगा। इसके साथ ही गुंडों की जमानत का फैसला भी पुलिस कोर्ट में ही तय हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने क्या कहा
मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए भोपाल और इंदौर में कमिश्नर प्रणाली को लागू करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहतर है। पुलिस अच्छा काम कर रही है। पुलिस और प्रशासन ने मिलकर कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन शहरी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। भौगोलिक दृष्टि से भी महानगरों का विस्तार हो रहा है और जनसंख्या भी लगातार बढ़ रही है। इसलिए कानून और व्यवस्था की कुछ नई समस्याएं पैदा हो रही हैं। उनके समाधान और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए हमने फैसला किया है।
गृहमंत्री ने ये कहा
मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने भी इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजधानी भोपाल और देश के सबसे संभावनाशील शहरों में शामिल इंदौर में जनसंख्या और निरंतर हो रहे भौगोलिक विस्तार को देखते हुए इन दोनों शहरों में हम पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर रहे हैं।
पहले भी हुई कवायद
इससे पहले साल 2020 में 15 अगस्त को भी मुख्यमंत्री की ओर से भोपाल और इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने की अटकलें थीं लेकिन, ऐन वक्त पर ऐसा नहीं हो सका। पुलिस-कमिश्नर सिस्टम के पिरामिड में डीजी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, एडीजी स्तर के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर बनाया जा सकता है। उसके नीचे एडीजी या आईजी स्तर के दो ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर होंगे। पिरामिड में एडिशनल पुलिस कमिश्नर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी आईजी या डीआईजी स्तर अफसरों को मिलेगी। इसी तरह डिप्टी पुलिस कमिश्नर डीआईजी या एसपी स्तर के होंगे। जूनियर आईपीएस या वरिष्ठ एसपीएस अधिकारियों को असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर बनाया जा सकेगा।
ये अधिकार भी होंगे
प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के मामलों में मजिस्ट्रेट के अधिकार DCP और ACP के पास आ जाएंगे।
सरकार जरूरत के हिसाब से DCP पदस्थ करेगी, जो एसपी रैंक के होंगे।
आर्म्स, आबकारी और बिल्डिंग परमिशन की NOC देने जैसे अधिकार भी पुलिस के पास होंगे।
कहां-कहां यह सिस्टम लागू
देश के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। देश के 19 महानगरों की आबादी 20 लाख से ज्यादा है, जिसमें से 14 महानगर ऐसे हैं, जहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले 6 शहर जिनमें पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू नहीं है उसमें मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर, बिहार (bihar) का पटना (patna) और उत्तर प्रदेश का कानपुर (kanpur), लखनऊ (lucknow) और गाजियाबाद (Ghaziabad) शामिल हैं, जबकि 34 शहर ऐसे हैं जिनकी आबादी 10 से 20 लाख के बीच है। इनमें से 26 शहर ऐसे हैं जहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। देश में 31 शहर ऐसे भी हैं जहां की आबादी 10 लाख से कम है इसके बाद भी इन शहरों में यह व्यवस्था लागू है।
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