नर्स बहन खाली शीशी अस्पताल से लाकर देती, भाई 25 रु. में बना देता नकली रेमडेसिविर..फिर 35 हजार मे बेचते

पुलिस ने मंगलवार को रतलाम शहर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाले बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह को एक युवक अपनी नर्स बहन के साथ मिलकर चलाता था। पुलसि ने इस मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिसमें  रतलाम के जीवांश हॉस्पिटल के डॉक्टर उत्सव नायक, डॉक्टर यशपाल सिंह भी शामिल हैं।

रतलाम (मध्य प्रदेश). देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है। संक्रमण की दूसरी लहर में लाखों लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर गंभीर मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाकर उनकी जान बचाने में लगे हुए हैं। वहीं इसी जीवन रक्षक इंजेक्शन की बढ़ती डिमांड के चलते इसकी कालाबाजारी भी चरम पर है। मध्य प्रदेश रोजाना ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां अस्पताल स्टाफ खुद लोगों की जिंदगी के साथ खिलबाड़ करते हुए नकली रेमडेसिविर बेच रहे हैं। रतलाम ऐसा ही एक बेहद चौंकने वाला मामला आया है जहां नर्स बहन अपने नर्स भाई के साथ मिलकर 25 रुपए में बनाते थे नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर जरुरतोंमदों को दलालों की मदद से 35 हजार में बेचते थे। जानिए सासों के सौदागरों की पूरी कहानी...

इस गिरोह में डॉक्टर से लेकर मिडीकल मालिक भी शामिल
दरअसल, पुलिस ने मंगलवार को रतलाम शहर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाले बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह को एक युवक अपनी नर्स बहन के साथ मिलकर चलाता था। पुलसि ने इस मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिसमें  रतलाम के जीवांश हॉस्पिटल के डॉक्टर उत्सव नायक, डॉक्टर यशपाल सिंह, मेडिकल दुकान के संचालक प्रणव जोशी, मेडिकल कॉलेज की नर्स रीना प्रजापति, रीना का भाई पंकज प्रजापति को हिरासत में लिया है। साथ ही अस्पताल में पर्ची बनाने गोपाल और रोहित को हिरासत में लिया है।

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ऐसे 25 रुपए तैयार करते थे 35 हजार का इंजेक्शन
महामारी के दौर में वह बढ़ते रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड के चलते भाई और बहन रीना नकली इंजेक्शन बनाने लगे। जिसे महज 25 रुपए में तैयाक करते थे। नर्स बहन इसके लिए अपने अस्पताल से  इंजेक्शन की खाली शीशी लाकर देती थी। जिसके बाद भाई साथियों के साथ मिलकर उनमें सामान्य एंटीबायोटिक सेफ्ट्रिक्सोन पाउडर मिलाकर भर देते। इसके बाद  फेवीक्विक से फिर से ऐसी सील लगा देते कि जिससे कोई समझ ही नहीं पाए। फिर इन इन नकली  इंजेक्शनों को दलालों को 6 से 8 हजार रुपए में बेच देते। इसके बाद दलाल इन नकली दवा को जरूरतमंदों से 35 हजार रुपए तक रकम वसूलते थे। कई बार तो इन नकली इंजेक्शन को बहन ही मरीज को अपने हाथ से लगाए हैं।

ऐसे हुआ पूरे गिरोह का खुलासा
बता दें कि शनिवार देर रात पुलिस जीवांश हॉस्पिटल गश्त दे रही थी। इसी दौरान दो ड्यूटी डॉक्टर को मरीज के परिजनों से 30 हजार लेकर इंजेक्शन देते हुए रगेंहाथ पकड़ा। इसके बाद डॉक्टर उत्सव नायक और डॉक्टर यशपाल सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जब सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने सारी कहानी बयां कर दी। इसके बाद एक-एक करके सारे आरपियों को गिरफ्तार किया गया। जिसमें मेडिकल कॉलेज की नर्स रीना प्रजापति, उसके भाई पंकज प्रजापति भी शामिल थे। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के पास से नकली इंजेक्शन बनाने का सारा सामान भी जब्त कर लिया है।

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