पूरा परिवार संक्रमित-कोई हाल जानने वाला नहीं..बेटी पॉजिटिव होकर भी सबको मौत मुंह से निकाल लाई

बाजार अनलॉक हो चुके हैं, लेकिन कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है, इसलिए सतर्क रहें, आप भीड़ बढ़ाने की गलती बिल्कुल नहीं करें। खासकर मास्क उतारने को तो गुनाह ही समझिए। क्योंकि देश-दुनिया के कई विशेषज्ञ तो जुलाई-अगस्त में ही कोरोना की तीसरी लहर के संकेत दे रहे हैं। हालांकि, आपकी सावधानी और वैक्सीनेशन से महामारी की तीसरी लहर से बचा जा सकता है। यानि अभी हमको कुछ दिन और कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

भोपाल (मध्य प्रदेश). देश में काल बनकर आई कोरोना की दूसरी लहर में एक बेटी ने सूझबूझ की ऐसी मिशाल पेश की, जिसकी चर्चा चहुओर है। कोरोना विनर्स की यह प्रेरक कहानी है छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के शहडोल जिले की। आइए जानते हैं जिला अस्पताल में ड्यूटी करते-करते कैसे एक नर्स और उसके परिवार के सभी सदस्य कोरोना संक्रमित हो गए। हालात इतने बदतर थे कि कोई हालचाल लेने वाला तक नहीं बचा था, लेकिन नर्स बहन और उसके भाई के हौसले के आगे कोरोना रफूचक्कर हो गया।

Asianet News Hindi के अरविंद रघुवंशी ने शहडोल निवासी एक कुशवाहा परिवार से बात की। अप्रैल का आखिरी हफ्ता इस परिवार के लिए ऐसा कठिन समय था, जिसे शायद परिवार का कोई भी सदस्य जिंदगीभर भुला नहीं पाएगा। परिवार के बड़े बेटे पप्पू पटेल ने कोरोनाकाल में अपने परिवार के संघर्ष की दास्तां सुनाई।

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एक सप्ताह में परिवार के 4 लोग हो चुके थे संक्रमित
पप्पू पटेल ने बताया कि मैं शहडोल के पड़ोसी जिले कटनी में प्राइवेट जॉब करता हूं। यहां पत्नी वैशाली पटेल और डेढ़ साल की बेटी भी मेरे साथ रहती है। अप्रैल के आखिरी हफ्ते में सबसे पहले पत्नी को हल्का बुखार आया तो हमने कोरोना टेस्ट कराया। उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, अस्पताल फुल थे तो हमने बहन प्रमिला के अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों से टेलिफोनिक पर्रामर्श लिया, जो इस हॉस्पिटल में बतौर नर्स अपनी सेवाएं देती है। फिर शहडोल पहुंचकर घर पर ही पत्नी का ख्याल रखा। इसी दौरान 26 अप्रैल को मेरी मां और उसके बाद 28 अप्रैल को छोटे भाई व इकलौती बहन प्रमिला की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। हमारे परिवार में हफ्तेभर के अंदर 4 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके थे।

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बुरे-बुरे ख्याल मन में आने लगे थे.. फोन पर एक-दूसरे से बात करते-करते रो पड़ते
कोरोना की दूसरी लहर इतनी घातक साबित होगी, यह हमने कभी नहीं सोचा था। आलम यह था कि घर में कोई एक-दूसरे का हाल जानने वाला तक नहीं बचा था। परिवार के सभी सदस्यों ने अपने आप को अलग-अलग कमरों में बंद कर लिया था। ना कोई खाना देने वाला था और ना कोई दवा देने वाला। बुरे-बुरे ख्याल मन में आने लगे थे। फोन पर एक-दूसरे से बात करते-करते भावुक हो जाते। अखबारों और टीवी चैनलों में जिस तरह की खबरें सामने आ रहीं थीं, उनसे और निगेटिविटी आ चुकी थी। लेकिन बहन प्रमिला ने अपने नर्सिंग के अनुभव का पूरा फायदा उठाया और सभी की जिंदगी बचा ली। वह हम सभी इस तरह ट्रीट करती जैसे कि वो नर्स ना होकर कोई बड़ी डॉक्टर है। हर आधे घंटे में चारों लोगों का हाल जानने के लिए कमरे के बाहर आती और सभी का हौसला बढ़ाती।

एक बेटी ऐसे हालातों में टूट सकती है, लेकिन एक नर्स नहीं
पप्पू के मुताबिक मां, बहन (नर्स) और छोटा भाई तीनों शहडोल के जिला अस्पताल के कोविड वॉर्ड में भर्ती हो गए। मां और प्रमिला की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था। लेकिन छोटे भाई की हालत दिन वा दिन गिरती जा रही थी, ठीक से सांस तक नहीं ले पा रहा था। नौबत यहां तक पहुंच गई कि उसे आईसीयू में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा। इसके बाद भी कोई खास सुधार नहीं हुआ, 10 से 12 दिन तक वह ICU में रहा। यहां प्रमिला जिस तरह से भाई और परिवार का ख्याल रखा वह शायद ही कोई कर सकता था। जबकि वह खुद कोरोना पॉजिटिव थी। लेकिन उसने हिम्मत नहीं खोई, वह महामारी के सामने चट्टान की तरह खड़ी रही और उसका डटकर सामना किया। पहले वक्त पर परिवार के संक्रमित लोगों को दवा और खाना खिलाती, इसके बाद वह अपना ख्याल रखती। क्योंकि वह कहती थी यहां मैं एक बेटी के फर्ज के साथ एक नर्स का फर्ज अदा कर रही हूं। एक बेटी ऐसे हालातों को देखकर टूट सकती है, लेकिन एक नर्स नहीं। अगर नर्स ही हौसला खो देगी तो मरीज का क्या होगा। मैंने अगर परिवार मानकर उनका ख्याल रखा होता तो शायद वह ठीक नहीं हो पाते।

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लंग्स 60% खराब हो चुके थे, जब खांसी आती तो लगता अब नहीं बचूंगा
रूपेश आईसीयू में रहकर भी ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था। जब उसे खांसी तो वह कहता दीदी अब मैं नहीं बचूंगा, लेकिन जब खांसी के दौरान ब्लड आने लगा तो हम डर चुके थे। इसके बाद सीटी स्कैन कराया, जिसमें लंग्स के अंदर 60% इन्फेक्शन मिला। डॉक्टर भी ठीक से कुछ नहीं कह पा रहे थे। उन्होंने बस इतना ही कहा भर्ती करो देखते हैं। ऑक्सीजन लेवल धीरे-धीरे गिरता हुआ 80 तक आ गया। तीन से चार दिन तक एक रोटी भी नहीं खाई, मैं नर्स होकर भी डर  गई थी। मैं हर वक्त ईश्वर से यही प्रार्थना करती थी कि मेरा भाई जल्दी ठीक हो जाए।

डॉक्टर बोले- तुम ना होतीं तो भाई का बचना था मुश्किल
इतना ही नहीं नर्स बेटी ने खुद अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए मां और छोटे भाई की हर तरह से देखभाल की। साथ ही उसने बाकी मरीजों की सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूरी मदद की। संकटकाल में प्रमिला का समर्पण देखकर सीनियर डॉक्टरों ने कहा कि अगर तुम यहां ना होतीं तो रूपेश का जिंदा बचना मुश्किल था। हालांकि अब रूपेश और मां स्वस्थ हैं और धीरे-धीरे रिकवर कर रहे हैं। जबकि घर के बड़ा बेटा और बहू पहले ही कोरोना को मात दे चुके हैं।

मौत के मुंह से भाई को जिंदा बचा लाई बहन
नर्स प्रमिला कहती हैं कि शुरुआत में रूपेश की तबीयत थोड़ी खराब थी, लेकिन फिर भी वह मोहल्ले के जरूरतमंद लोगों को किसी तरह अस्पताल तक पहुंचा रहा था। वह कोरोना पीड़ित परिवार की हर तरह से मदद करता था। वह किसी भी मरीज को अस्पताल लेकर आ जाता और कहता बहन इसको एक बेड दिलवा देना। मैं भी इन मरीजों को तुरंत इलाज दिलाने में मदद कर रही थी। लेकिन क्या पता था कि बेरहम कोरोना हमारे परिवार को भी गिरफ्त में ले लेगा। लेकिन अब ईश्वर की कृपा से सब ठीक हो गया। मां दोनों भाई-भाभी और मैंने कोरोना को मात दे दी है। हमें सबसे ज्यादा अपने छोटे भाई की थी मौत के दरवाजे तक पहुंच गया था। लेकिन अब वो भी रिकवर कर रहा है। अब वह घर पर स्वास्थ्य लाभ लेने के साथ योग और प्राणायाम कर रहा है। ताकि कोरोना के बाद की जटिलताओं से जल्दी बाहर आ सके।

महामारी से जंग जीतने वाले कोरोना विनर का संदेश
सावधानी पहले की तरह रखिए। भीड़ में जाने की गलती कतई ना करें, वैक्सीन नहीं लगी है तो तुरंत अपने पूरे परिवार को वैक्सीशेशन कराएं। जरा सी सर्दी-बुखार को हल्के में मत लीजिए, तुरंत अपनी जांच कराएं और डॉक्टर के कहे अनुसार ही चलें। अगर संक्रमित हो जाए तो जिंदगी को जीने का जज्बा और आत्मविश्वास बनाए रखिए, क्योंकि आपके पास यह दो चीजें हैं तो आपको कोई नहीं हरा नहीं सकता। कोरोना से डरें नहीं, अपनी पॉजिटिव सोच और जिंदादिल बने रहें। हिम्मत और हौसले से इस वायरस का डटकर सामना करें।

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आईए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona
 

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