इंदौर ने फिर रचा इतिहास: 5वीं बार बना देश का सबसे साफ शहर, रोल मॉडल कैसे और क्यों बना, आइए जानते हैं वजह

साफ-सफाई के मामले में लगातार 4 बार स्वच्छता का नंबर-1 का खिताब जीत चुके इंदौर ने एक बार फिर इतिहास रच दिया। शनिवार को हुए स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 के परिणाम में इंदौर को लगातार पांचवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। इसके अलावा पहली बार केंद्र सरकार ने सफाई मित्र चैलेंज पुरस्कार भी ऐलान किया।

इंदौर (मध्य प्रदेश). साफ-सफाई के मामले में लगातार 4 बार स्वच्छता का नंबर-1 का खिताब जीत चुके इंदौर ने एक बार फिर इतिहास रच दिया। शनिवार को हुए स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 के परिणाम में इंदौर को लगातार पांचवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। इसके अलावा पहली बार केंद्र सरकार ने सफाई मित्र चैलेंज पुरस्कार भी ऐलान किया। जिसमें 12 करोड़ का सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज अवार्ड भी इंदौर नगर निगम ने अपने नाम किया है। आखिर ऐसी क्या वजह है जो इंदौर शहर लगातार यह मुकाम हासिल कर रहा है। पूरे देश में जो रोल मॉडल बना गया। आइए जानते हैं इसकी असली वजह...

राष्ट्रपति ने दिल्ली में दिया इंदौर को ये खिताब
दरअसल, शनिवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम घोषित हुए। जहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इंदौर को नंबर-1 शहर, 12 करोड़ का सफाई मित्र और 5 स्टार रेटिंग का अवॉर्ड दिया। जिसके बाद राष्ट्रपति ने कहा 'इस वर्ष इंदौर शहर ने लगातार पाँचवी बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है। पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त करना तो सराहनीय है ही, उस स्थान को निरंतर बनाए रखना उससे भी अधिक प्रशंसनीय है।'
 

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1. शहर के सारे नालों को किया प्रोसेस
बेस्ट क्लीन सिटी का अवॉर्ड के पीछे सबसे बड़ी वजह है यहां के नालों और सीवरेज को प्रोसेस करना। इंदौर नगर टीम ने शहर के  21 किलोमीटर लंबी कान्ह और 12 किलोमीटर की सरस्वती नदी को पुनर्जीवित किया है। अब नदी-नालों में अब कचरा नहीं बहता। जहां से लोगों का निकलना भी मुश्किल था वहां अब लोग पूजा करते हैं। इसी का परिणा है कि शुक्रवार को 41 साल बाद सरस्वती के तट पर कार्तिक पूर्णिमा पर लोगों ने आस्था के साथ दीपदान किए।

2. शहर में प्लास्टिक बैन किया गया...
 इंदौर नगर निगम ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैन किया। डिस्पोजल की जगह पर बर्तन बैंक और थैलियों के विकल्प में झोला बैंक शुरू किया, डिस्पोजल फ्री जोन बनाए गए, खासकर शहर के सबसे भीड़ वाले इलाकों पर नजर रखी गई। 

3. 11 हजार 364 कर्मचारी करते दिन रात मेहनत
इंदौर नगर निगम के 11 हजार 364 कर्मचारी रोज घर-घर जाकर 1200 टन कचरा उठाते हैं। साथ ही शहर के प्रमुख चौराहों, सड़कों, नदी किनारों, बगीचों में स्वच्छता के संदेश लिखे गए हैं। जिससे लोग कचरा अब फेंकते नहीं हैं।

4. कचरे का भी सही इस्तेमाल किया 
नगर निगम ने गीले-और सूखे कचरे का अलग-अलग इस्तेमाल किया। सात ही सीवरेज वाटर का ट्रीटमेंट कर पानी सड़क धुलाई, गार्डन, खेती के काम करना आदि शामिल हैं।

5. जब लोगों और निगम ने गंदगी को बनाया आंदोलन
इंदौर के लोगों ने सफाई को एक आदत बना लिया है। लोगों ने इसको  जनआंदोलन के रूप में अपनाया और अपने घर के साथ शहर की सफाई पर भी ध्यान दिया। जिसका परिणाम यह है कि आज शहर लगातार खिताब जीत रहा है। इतना ही नहीं गंदगी फैलाने वालों को टोकना और नगर निगम की सख्ती जिससे वह गंदगी फैलाने वालों पर स्पॉट फाइन लगाना शामिल है।

6. कचरे से हो रही 50 करोड़ की कमाई
नगर निगम के कर्मचारियों और लोगों की जागरुकता के चलते इंदौर देश में एक मात्र ऐसा शहर बन गया है जहां कचरे की सौ फीसदी प्रोसेसिंग से हो रही है और इसके 50 करोड़ सालाना की कमाई भी हो रही है। जिस तरह से इंदौर में कचरा प्रबंधन किया ज रहा है उसके लगता है कि आने वाले तीन साल में  कचरे से 100 करोड़ कमाई होगी

7. शहर से दूर लगे हैं कचरे के प्लांट
इंदौर के सफाईकर्मी साल के 365 दिन हर समय सफाईकर्मी शहर को स्वच्छ रखने में जुटे रहते हैं। बारिश हो या ठंड कभी भी सफाई व्यवस्था बंद नहीं होती। शहर से दूर ट्रेंचिंग ग्राउंड में कचरे का प्लांट लगा है, जो कि  करीब 147 एकड़ फैला हुआ है। यहां रोजाना हजारों टन कचरा पहुंचता है, जहां सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग किए जाने की प्रोसेस होती है। प्लांट में कोरोंड़ों कीमत की कचरे प्रोसेसिंग करने की मशीनें लगाई  गई हैं। इसके बाद निगम गीले कचरे से खेती के उपयोग में लाने के लिए खाद बनाती है।

 सीएम शिवराज ने यूं कहा-इंदौरियों को थैंक्स...
इंदौर को लगातार मिली इस सफलता पर सीएम शिवराज ने इंदौर की जनता को धन्यवाद देते हुए कहा यशस्वी पीएम श्री मोदी जी का मध्यप्रदेश के 8.50 करोड़ नागरिकों की ओर से अभिनंदन करता हूं। उनके मार्गदर्शन में भारत स्वच्छता के नए युग में प्रवेश कर रहा है। इस साल स्वच्छता में इंदौर 5वीं बार शीर्ष पर है। 35 सम्मान मध्यप्रदेश के खाते में आए हैं।


 

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