चीता मित्रों से पीएम मोदी की बात का VIDEO: कहा- कुछ दिन यहां मेरा कोई रिश्तेदार भी आ जाए तो घुसने मत देना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ने के बाद वहां तैनात चीता मित्रों से बात की। उन्होंने कहा कि चीतों के क्वारंटाइन के समय तक यहां किसी को घुसने नहीं देना। अगर मेरा रिश्तेदार भी आए तो भी उसे घुसने नहीं देना।
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 17, 2022 1:07 PM IST / Updated: Sep 17 2022, 06:45 PM IST

श्योपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में शनिवार को अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ा। इसके बाद उन्होंने चीतों की रक्षा के लिए नियुक्त किए गए चीता मित्रों से बात की। उन्होंने युवाओं को चीतों और वन्य जीवों की रक्षा का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि जब तक चीतों के क्वारंटाइन का समय पूरा नहीं हो जाता यहां किसी को घुसने मत देना। अगर मेरा कोई रिश्तेदार आ जाए तो उसे भी नहीं घुसने देना। 

चीता मित्रों से नरेंद्र मोदी की बातचीत
नरेंद्र मोदी- आपको क्या बताया गया है? क्या काम करना है?
चीता मित्र- हमें चीतों की सुरक्षा करनी है।

नरेंद्र मोदी- कैसे करेंगे? पशु से इंसान को खतरा है या इंसान से पशु को खतरा है?
चीता मित्र- इंसानों से पशु को खतरा है।

नरेंद्र मोदी- यह पक्की बात है?
चीता मित्र- जी, बिल्कुल पक्की बात है।

 

नरेंद्र मोदी- तो आपको मेहनत कहां करनी है? पशु को समझाने या इंसान को समझाने में?
चीता मित्र- इंसान को समझाने में मेहनत करनी है। गांव-गांव में जाना है और लोगों को चीता के बारे में बताना है। यह सबसे तेजी से दौड़ने वाला प्राणी है। 

नरेंद्र मोदी- देखिए हमें करीब-करीब 75 साल इंतजार करना पड़ा है। पहले यहां चीता होते थे। अच्छा तेंदुआ और चीता में फर्क कैसे करेंगे?
चीता मित्र-चीता बड़ा होता है। उसका फूटमार्क छोटा होता है। वहीं, तेंदुआ का फूटमार्क गोल होता है।

नरेंद्र मोदी- देखिए मैं अपना अनुभव बताता हूं। मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री बनकर गया। आपको मालूम है यहां शेर हैं। गिर अभ्यारण्य में शेरों की संख्या करीब 300 थी। शेरों की संख्या लगातार घट रही थी। मुझे लगा कि इतनी बड़ी विरासत है। अगर ऐसे ही रहा तो ये नहीं बचेंगे। मैंने सोचा कि सरकार अगर सोचती है कि वह शेरों को बचा लेगी तो यह गलत होगा। अगर शेर को कोई बचाएगा तो गांव के लोग ही। हमने करीब 300 वन्य प्राणी मित्र बनाए। 2007 में मैं वहां की बेटियां से पूछा कि क्या आप मैदान में आ सकती हैं? शेरों के साथ रह सकती हैं? शेरों को बचा सकती हैं? लड़कियां तैयार हो गईं। स्थानीय बेटियों को बहुत बड़ी संख्या में फॉरेस्ट गार्ड के रूप में रखा। आप चीता मित्र हैं, लेकिन सभी वन्य जीवों के भी मित्र हैं। सभी की देखभाल करनी है। इसको करेंगे?
चीता मित्र- जी करेंगे।

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नरेंद्र मोदी- अच्छा आप में से मोबाइल फोन किस-किस के पास है?
चीता मित्र- हमारे पास है।

नरेंद्र मोदी- देखिए आप अपनी एक हॉबी डेवलप करें। अच्छी तस्वीरें लीजिए। कभी-कभी पशु की ऐसी हरकत की फोटो आपके हाथ लग जाएगी जो आपके जीवन की बहुत बड़ी अनमोल विरासत होगी। आप बढ़िया से बढ़िया फोटो लेकर मुझे भेजिए।
चीता मित्र-  हां सर भेजेंगे। 

नरेंद्र मोदी- चीते की फोटो लेना है यह जरूरी नहीं है। वन्य पशु भी तो बहुत हैं यहां। आप जैसे ही यह काम शुरू करेंगे, सबसे पहली मुसीबत क्या आने वाली है? इन चीतों को कुछ दिन लोगों से दूर रखना है। सबसे बड़ी समस्या नेता लोग करेंगे। नेता लोग आएंगे, उनके रिश्तेदार आएंगे। टीवी कैमरा वाले आएंगे। अफसरों पर दवाब डालेंगे। आपका काम है किसी को घुसने नहीं देना। मैं भी आऊं तो मुझे भी घुसने मत देना। मेरे नाम से मेरा कोई रिश्तेदार आ जाए तो भी नहीं। जब उनका समय पूरा होगा तक घुसने देंगे।

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