इस गांव की खेती को देखने के लिए आ रहे कमिश्रर और कलेक्टर, विदेशों तक पहुंची इसकी डिमांड

 प्रदेश में इस समय अगर सबसे ज्यादा किसी गांव की चर्चा हो रही है तो वह है होशंगाबाद जिले का बनखेड़ी गांव। जहां सोने की तरह रामतिल दमक रहा है। जिसको देखने के लिए कई अफसर जा चुके हैं। इस रामतिल की डिमांड विदेशों तक है।
 

होशंगाबाद. मध्य प्रदेश की आधी से ज्यादा आबादी खेती कर रही है। लेकिन प्रदेश में इस समय अगर सबसे ज्यादा किसी गांव की चर्चा हो रही है तो वह है होशंगाबाद जिले का बनखेड़ी गांव। जहां सोने की तरह रामतिल दमक रहा है। जिसको देखने के लिए कई अफसर जा चुके हैं। इस रामतिल की डिमांड विदेशों तक है।

250 से ज्यादा एकड़ में हो रही है इसकी खेती
बनखेड़ी की पहचान अब विदेशों तक में हो गई। यहां का रामतिल देश-विदेश में अच्छी कमीत में बिक रहा है।  इस एरिया के गुंदरई गांव में आलम यह है कि यहां करीब 250 से ज्यादा एकड़ में इसकी खेती की जा रही है। यह प्रदेश का ऐसा एक मात्र गांव बन गया है जो इतनी बड़े पैमाने पर इसकी पैदावार की जा रही है।

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देखने के लिए पहुंचे कमिश्रर और कलेक्टर
जब इतने बड़े पैमाने पर रामतिल की खेती करने की खबर जिले के अफसरों ने सुनी तो उसको देखने के लिए सरकारी अफसरों का एक दल दौरे पर आया। जिसमें जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि के कुलपति, कमिश्रर, कलेक्टर शामिल थे। उन्होंने जायजा लेने के बाद कहा, यह खेती प्रदेश और देश के लिए एक मॉडल है। 

इस फसल में नहीं होता है कोई कीड़ा
होशांगाबाद जिले में अधिकतर गेंहू-दाल-धान जैसी फसलों की खेती की जाती है। खासकर रामतिल तो हाड़ी या ढलान वाले क्षेत्र में की जाती है, लेकिन यहां पहली बार इतने बड़े पैमाने पर की गई है। इस फसल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कोई कीड़ा नहीं होता है। इसके बीज में 40 प्रतिशत तेल और 20 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इसको कोई जानवर या पक्षी भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। 

रामतिल का होता यह उपयोग
कृषि के जानकारों के अनुसार, रामतिल देश से हर साल 50 लाख डॉलर से ज्यादा का विदेशों भे भेजा जाता है। इस गांव के किसानों के पास भी कई लोग अभी से इसकी बुकिंग कर रहे हैं। इसका उपयोग मुख्य तौर पर तेल निकलने के लिए किया जाता है। इसके बाद जानवरों को दाना देना और पक्षियों के लिए भी दाना दिया जाता है।

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