MP के सागर में बड़ी लापरवाहीः 1 सिरिंज से 40 बच्चों को लगा दी वैक्सीन, छात्र बोला- मुझे तो एक ही दिया था

मध्य प्रदेश के सागर जिले से कोरोना वैक्सीनेशन (Corona vaccination) में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां एक स्‍कूल में  एक ही स‍िर‍िंज से 40 बच्‍चों को वैक्‍सीन लगा दी गई। वैक्सीनेशन कने वाले ने कहा- उसे अधिकारियों ने ऐसा ही करने का आदेश दिया था।

Arvind Raghuwanshi | Published : Jul 28, 2022 6:20 AM IST / Updated: Jul 28 2022, 03:28 PM IST

सागर. मध्य प्रदेश के सागर जिले से कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। जहां एक स्कूल में चल रहे टीकाकरण अभियान के दौरान एक ही सीरिंज से 40 बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगा दी गई। पेरेंट्स ने जैसे ही यह सब देखा तो उन्होंने जमकर हंगामा किया। इसके बाद सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मचा गया। 

ऐसे हुआ पूरे मामला का खुलासा
दरअसल, यह पूरा मामला बुधवार को सागर के जैन पब्लिक स्कूल से सामने आया है। जहां स्वास्थ्य विभाग ने स्‍कूली बच्‍चों के ल‍िए कोरोना वैक्‍सीनेशन का कैंप लगाया गया था। जिसमें व‍िभाग ने एक न‍िजी कॉलेज नर्स‍िंग कॉलेज एसवीएन में पढ़ाई करने वाले नर्स‍िंग छात्रों की ड्यूटी भी लगाई है। लेकिन टीकाकरण करने वाले एक नर्सिंग छात्र ने एक ही सीरिंज से चालीस बच्चों को कोविड वैक्सीन लगा दी। जब एक छात्रा के प‍िता की नजर पडी तो स्‍कूल में हंगामा हो गया। सूचना मिलते ही ज‍िला प्रशासन और पुलिस पहुंची।

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वैक्सीनेशन नर्सिंग छात्र ने जो जवाब दिया वह गजब था
एक ही सीरिंज से चालीस बच्चों को वैक्सीन लगाने वाले नर्सिंग छात्र का नाम  ज‍ितेंद्र राज है जो कि एसवीएन कॉलेज में थर्ड ईयर का स्टूडेंट है। बच्चों के पेरेंट्स जब उससे पूछा इतनी बड़ी लापरवाही क्यों हो रही है। तो छात्रा का जवाब भी चौंकाने वाला था। उसने कहा-उसे अफसरों ने एक ही सीरिंज से सभी बच्चों को वैक्सीन लगाने का आदेश दिया था। इसलिए मैंने ऐसा किया है।

टीकाकरण करने वाले छात्र के खिलाफ कराई गई FIR 
वहीं इस घटना के बाद मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने टीकाकरण करने वाले छात्र जितेंद्र के खिलाफ गोपालगंज थाने में FIR दर्ज करा दी है। वहीं जिला टीकाकरण अधिकारी एसआर रोशन के खिलाफ विभागीय जांच के लिए प्रशासन को पत्र लिखा है। इस पूरे मामले पर CMHO डॉ. डीके गोस्वामी का बयान भी सामने आया है। उनका कहना है कि टीमों को बच्चों के घर भेजकर ब्लड सैंपल मंगाए जा रहे हैं, जिनकी जिला अस्पताल की पैथोलॉजी लैब से जांच कराई जाएगी।

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