शिक्षा विभाग के कुछ अफसरों की लापरवाही की वजह से शुक्रवार को शाजापुर के एक स्कूल के एलकेजी में पढ़ने वाले तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई। बता दें कि स्कूल से 7 फीट दूरी पर बना बिना मुंडेर कुआ मासूमों की मौत का कारण बना।
शाजापुर. मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग के कुछ अफसरों की लापरवाही की वजह से शुक्रवार को एलकेजी में पढ़ने वाले तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई। बता दें कि स्कूल से 7 फीट दूरी पर बना बिना मुंडेर कुआ मासूमों की मौत का कारण बना। रफ्तार में आ रही 22 बच्चों से भरी वैन इसमें जा गिरी थी। चंद पलों में खुशी की किलकारी चीख-पखार में तब्दील हो गई।
1 वैन में सवार थे 19 बच्चे
पुलिस के मुताबिक घटना रिछोदा गांव में हुई। मृतकों की पहचान दिव्या और हार्दिक के रूप में हुई है। यह बच्चे लोअर केजी में पढ़ाई करते थे, जबकि तीसरा बच्चा आयुष कक्षा 1 में पढ़ता था। पुलिस अधिकारी उमराव सिंह मरावी ने बताया था कि 19 अन्य बच्चे जो वैन में थे, उन्हें बचा लिया गया है। सभी बच्चे एक मारुति ओमनी में बैठकर जा रहे थे। घटना तब हुई जब बच्चे स्कूल के बाद घर जाने के लिए वैन में सवार थे। यह हादसा करीब 12.30 पर हुआ। वैन को स्पीड में रिवर्स करते समय ये हादसा हुआ।
वैन गिरते देख गांव के लोगों ने लगा दी छलांग
पुलिस के मुताबिक, हादसा तब हुआ जब बच्चे स्कूल से निकलकर वैन में सवार हुए। ड्राइवर ने वैन को रिवर्स किया। उसी वक्त पानी से भरे गड्ढे में जा गिरा। वैन के गिरते देख आसपास के लोगों ने बच्चों को बचाने के लिए तुरन्त पानी में छलांग लगा दी।
ड्राइवर पहले ही कूद गया
वैन के पानी में डूबने से पहले ड्राइवर पहले ही कूद गया और भाग गया। एसपी ने कहा कि उसकी खोज की जा रही है। 25 फीट गहरा यह गड्ढा पूरा भरा हुआ था। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस घटना को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, मेरी संवेदना बच्चों के माता-पिता के साथ है। घटना की जांच की जाएगी। दोषियों को दंडित किया जाएगा।
बच्चों को बचाने की जगह भाग गया स्कूल संचालक
जानकारी के अनुसार, जब यह दर्दनाक हादसा हुआ उस वक्त स्कूल का संचालक भी मौजूद था। लेकिन वह मासूमों को बचाने की जगह अपने स्टॉफ को लेकर घटनास्थल से भाग खड़ा हुआ। खेतों में काम कर रहे ग्रामीणों और मजदूरों ने गड्डे में कूदकर 16 बच्चों को जिंदा बचाया।
अफसरों की लापरवाही से हुआ ये हादसा
ये हादसा शाजापुर से 25 किलेमीटर की दूर के ए. एकडेमी स्कूल में हुआ। अजीत सिंह स्कूल का संचालन पिछले पांच सालों से कर रहा था। खेत और जंगल में बने इस स्कूल को सरकारी अफसरों ने 2018 में फिर बिना देखे मान्यता दे दी थी। हादसे के बाद जब वहां मीडिया पहुंची तो पता चला कि कई कमरों में सोयाबीन के बोरे और खेती का सामान रखा हुआ था।
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया वो खौफनाक मंजर
प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीण मनोहर लाल ने बताया कि जैसे बच्चे उस वैन में बैठ कि वह नीचे की ओर पीछे आ गई। गाड़ी का एक हिस्सा कुएं में टकने लगा था। मैं चिल्लाते हुए वहा पहुंचा और दूसरे लोगों की मदद से गाड़ी का दरवाजा खोला। जैसे-तैसे हमने 8 से 10 बच्चों को निकाला। इतने में देखते ही देखते गाड़ी में पानी भरने लगा और वह पानी में डूब गई।