शंकराचार्य स्वरूपानंद के उत्तराधिकारी की घोषणा, जानें कौन हैं स्वामी सदानंद और अविमुक्तेश्वरानंद

ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swaroopanand saraswati) के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारियों के नाम की घोषणा कर दी गई है। स्वामी सदानंद  और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को जिम्मेदारी दी गई है। 

Pawan Tiwari | Published : Sep 12, 2022 9:25 AM IST

नरसिंहपुर. ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swaroopanand saraswati) के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारियों के नाम की घोषणा कर दी गई है। यह घोषणा सोमवार को स्वरूपानंद सरस्वती के पार्थिक शव के सामने की गई है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी को ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और स्वामी सदानंद जी को द्वारका शारदा पीठ का शंकराचार्य घोषित किया गया है। 

कौन हैं स्वामी सदानंद
कौन हैं स्वामी सदानंद का जन्म मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बरगी गांव में हुआ था। पहले इनका नाम रमेश अवस्थी था। लेकिन उन्होंने 18 साल की उम्र में ब्रह्मचारी दीक् ली और फिर इनका नाम ब्रह्मचारी सदानंद हो गया। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से इन्होंने वाराणसी में दंडी दीक्षा ली। दंडी दीक्षा लेने के बाद इनका नाम स्वामी सदानंद हो गया। अभी ये गुजरात में द्वारका शारदापीठ में शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में काम करते थे। 
 
कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रनेता थे लेकिन उन्होंने युवा अवस्था में ही संन्यास धारण कर लिया। वो स्वरूपानंद सरस्वती के आश्रम में आए औऱ वहीं दीक्षा ली। शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में ज्योतिषपीठ का कार्य संभाल रहे थे। अब इन्हें ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ का शंकराचार्य घोषित किया गया है।  

रविवार को हुआ था निधन
बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन रविवार को दोपहर नरसिंहपुर में हो गया था था। उनकी उम्र करीब 99 साल की थी। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को समाधि दी जाएगी। संत की भूसमाधि से पहले दर्शन करने के लिए आम आदमी से खास तक पहुंच रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा राज्य सरकार के कई मंत्री और विधायकों के पहुंचने की उम्मीद है।  इससे पहले पूर्व सीएम कमलनाथ भी पहुंचे थे। वहीं, दिग्विजय सिंह ने कहा था कि शंकराचार्य का निधन मेरी व्यक्तिगत क्षति है।

इसे भी पढ़ें-  कौन थे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, जिन्होंने महज 9 साल की उम्र में त्याग दिया था घर

Share this article
click me!