शहीदों के परिजनों का ऐसा सम्मान, देखकर छलक पड़े सबके आंसू

ये दो मामले देशवासियों के जज्बात की अद्भुत कहानियां बयां करते हैं। देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए परिजनों का ऐसा मान-सम्मान शायद ही कभी पहले देखने को मिला होगा। एक मामला मध्य प्रदेश से जुड़ा है, तो दूसरा बिहार से। आइए जानते हैं भावुक करने वाली दोनों कहानियां...

Asianet News Hindi | Published : Aug 17, 2019 6:40 AM IST

इंदौर/रोहतास. मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में स्थित पीर पिपल्या गांव निवासी मोहन सिंह 31 दिसंबर, 1992 को शहीद हो गए थे। वे सीमा सुरक्षा बल(BSF) में थे। उनकी ड्यूटी असम में थी। उनकी शहादत के बाद तो मानों परिवार पर पहाड़-सा टूट पड़ा। सरकारी मदद न मिलने पर शहीद की पत्नी राजू बाई  को झोपड़ी में जिंदगी बितानी पड़ी। अब गांववालों ने मिलकर उन्हें नया घर बनवाकर दिया है। दूसरा मामला बिहार के रोहतास जिले का है। यहां के रहने वाले एयरफोर्स की गरुड़ यूनिट के कमांडो ज्योतिप्रकाश निराला 18 नवंबर, 2017 को कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे। उनकी बहन शशिकला की शादी में गरुड़ यूनिट के 50 कमांडो मौजूद थे। उन्होंने हथेली बिछाकर बहन को विदा किया।

 

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झोपड़ी में रहता था शहीद का परिवार...
इंदौर के मोहन सिंह जब शहीद हुए, तब उनकी पत्नी राजूबाई गर्भवती थीं। उनके तीन साल का एक बेटा भी था। मोहन सिंह के जाने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई। पेंशन से जैसे-तैसे घर चल रहा था। एक पुराना मकान था, जो धीरे-धीरे जर्जर होता गया। तभी शहीद समरसता मिशन के संस्थापक मोहन नारायण मदद के लिए आगे आए। 

‘वन चेक-वन साइन’ 
समरसता मिशन ने शहीद के परिजनों की मदद के लिए ‘वन चेक-वन साइन’ नाम से मिशन चलाया। इसके जरिये 11 लाख रुपए जमा हुए। इस तरह 15 अगस्त को शहीद के परिजनों के लिए नया घर तैयार हो गया। मकान के लिए ठेकेदार और मजदूरों ने कोई मुनाफा नहीं लिया। 15 अगस्त को गांववालों ने अपनी हथेलियां बिछाकर शहीद की पत्नी का अतुलनीय सम्मान के साथ गृह प्रवेश कराया।

प्रतिमा लगाई जाएगी
शहीद समरसता मिशन के विशाल राठी ने बताया कि मकान पर 10 लाख रुपए खर्च हुए हैं। एक लाख रुपए बचे हैं, जिससे शहीद की मूर्ति का निर्माण कराया गया है। मूर्ति पीपल्या गांव में स्थापित की जाएगी। शहीद का बड़ा बेटा अब BSF में भर्ती हो चुका है। शहीद समरसता मिशन अब तक 22 शहीदों के परिवरों की मदद कर चुका है।

हथेलियों पर हुई दुल्हन की विदाई
ऐसी ही कहानी शहीद ज्योति प्रकाश निराला के परिजनों की है। उसकी बहन शशिकला की शादी में गरूड़ यूनिट के 50 कमांडो पहुंचे। उन्होंने न सिर्फ शादी का पूरा इंतजाम किया, बल्कि दुल्हन की विदाई अपनी हथेलियों पर की। ज्योति प्रकाश की तीन बहनें हैं। शहीद के पिता तेजनारायण सिंह ने बताया कि उनकी दूसरी बेटी शशिकला की शादी तीन जून को डेहरी के पाली रोड निवासी उमाशंकर यादव के पुत्र सुजीत कुमार के साथ तय हुई थी। उन्होंने गरुड़ कमांडो यूनिट और एयर चीफ मार्शल बीएस धनवा निमंत्रण पत्र भेजा था। उन्हें इसका अंदाजा भी नहीं था कि बेटी की शादी ऐसी कुछ यादगार बन जाएगी।

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