भोपाल लौटे कांग्रेस के 82 विधायक, कमलनाथ के मंत्री का दावा, साबित करेंगे बहुमत, भाजपा के MLA देंगे समर्थन

मध्यप्रदेश में पिछले दिनों हुए सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के 82 विधायकों को जयपुर से भोपाल लाया गया। बता दें कि पिछले पांच दिन से इन विधायकों को राजस्थान के लग्जरी रिसॉर्ट ब्यूना विस्टा रिसॉर्ट में रखा गया था। रविवार सुबह करीब 11 बजे एयरपोर्ट पर उतरते ही इन विधायकों ने विक्टरी साइन दिखाया। 

भोपाल. मध्यप्रदेश में पिछले दिनों हुए सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के 82 विधायकों को जयपुर से भोपाल लाए गए। वहीं कमलनाथ ने कैबिनेट बैठक करने के बाद मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने रविवार को प्रेस वार्ता की। जहां मंत्री ने पत्रकारों को बताया कि 'सभी विधायक हमारे साथ हैं, हमारे सिर्फ 6 विधायक कम हुए हैं, सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा पूरा है. कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे हो जाने के बाद भी अभी 121 से ज्यादा MLA हमें विश्वास प्रस्ताव पर मतदान में समर्थन करेंगे। इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी के 6 से 7 विधायक भी हमारी सरकार को समर्थन देंगे।

फ्लोर टेस्ट तक विधायकों को यहां ठहराया गया
बता दें कि पिछले पांच दिन से इन विधायकों को जयपुर के लग्जरी रिसॉर्ट ब्यूना विस्टा रिसॉर्ट में रखा गया था। रविवार सुबह करीब 11 बजे भोपाल एयरपोर्ट पर उतरते ही इन विधायकों ने विक्टरी साइन दिखाया। सबसे पहले इन्हें होटल मैरियट में ले जाया गया। जानकारी के मताबिक, फ्लोर टेस्ट होने तक यह सभी यहीं ठहराया गया है।

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एयरपोर्ट से सीधे कैबिनेट बैठक में पहंचे सभी विधायक
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस के 82 विधायक एयरपोर्ट से एक लग्जरी बस के जरिए सीधे मंत्रालय पहंचे, जहां मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी से मुलाकात की और इसके बाद कैबिनेट की बैठक हुई। बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में सोमवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट को लेकर चर्चा हुई। वहीं मीडिया से बात करते हुए मध्य प्रदेश सरकार के खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा कि हमारे पास बहूमत साबित करने के लिए पर्याप्त संख्या है। नंबर की चिंता हमको नहीं बीजेपी को करना चाहिए। फ्लोर टेस्ट कल होगा या नहीं इसका फैसला विधानसभा अध्यक्ष तय करेंगे, क्योंकि उनके पास इसका अधिकार है। अभी फिलहाल तो कोरोना चल रहा है।

राज्यपाल ने कमलनाथ को बहुमत साबित करने के दिए निर्देश 
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर निर्देश जारी करते हुए कहा है कि आपकी सरकार अल्पमत में है। जिसके लिए कल यानी 16 मार्च को विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित किया जाए। लगभग आधी रात को राजभवन से यह पत्र राज्य के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ को भेजा गया। इस चिट्ठी में राज्यपाल ने एमपी के हाल के राजनीतिक घटनाक्रम का पूरा ब्यौरा दिया है और सीएम कमलनाथ को सदन में विश्वासमत हासिल करने को कहा है. राज्यपाल ने अपने पत्र में लिखा है, " मुझे जानकारी मिली है कि 22 विधायकों ने मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उन्होंने इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया को भी इसकी जानकारी दी है। मैंने इस बावत मीडिया कवरेज को भी देखा है।"

न स्थगन होगा, न निलंबन हर हाल में फ्लोर टेस्ट होगा
राज्यपाल ने कहा है कि उपरोक्त कार्यवाही को हर हाल में 16 मार्च 2020 को ही पूरा किया जाएगा। इस दौरान न स्थगन होगा, न विलंब और न ही ये प्रक्रिया निलंबित की जाएगी। राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम को लिखा है कि उन्होंने भी अपने 13 तारीख के पत्र में विश्वास मत हासिल करने पर सहमति दे दी है। उन्होंने कहा है कि विधानसभा के विपक्षी दल बीजेपी ने एक ज्ञापन दिया है और ताजा घटनाक्रम का उल्लेख किया है। राज्यपाल ने कहा कि बीजेपी ने यह भी बताया है कि राज्य सरकार द्वारा त्यागपत्र देने वाले एंव अन्य सदस्यों पर अवांछित दबाव बनाया जा रहा है। 

22 विधायकों ने दिए हैं इस्तीफे
राज्य में बीते एक सप्ताह से सियासी हलचल मची हुई है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 विधायक बेंगलुरु में हैं। इनमें 6 मंत्री भी शामिल थे। इन सभी 22 विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इनमें से छह विधायक जो राज्य में मंत्री थे उनके इस्तीफे को विधानसभाध्यक्ष एनपी प्रजापति ने मंजूर कर लिया है।  हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि सिंधिया आज इन विधायकों से मिलने के लिए बेंगलुरू जा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट जा सकती है कांग्रेस 
राजभवन से सीएम को जारी किए गए पत्र के मुताबिक राज्यपाल ने सीएम को कहा कि मध्य प्रदेश की हाल की घटनाओं से उन्हें प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि उनकी सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है और ये सरकार अब अल्पमत में है। राज्यपाल ने कहा है कि ये स्थिति अत्यंत गंभीर है और सीएम कमलनाथ 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करें। वहीं खबर है कि कांग्रेस राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। 

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