बोरवेल से 100 घंटे बाद निकाला गया प्रहलाद, लेकिन हार गया जिंदगी की जंग; डॉक्टरों ने मृत घोषित किया

जिले की पृथ्वीपुर तहसील के सैतपुरा गांव में करीब 100 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद 4 साल के मासूम प्रहलाद को शनिवार देर रात बोरवेल से निकाला गया। हालांकि, बच्चे को जैसे ही अस्पताल ले जाया गया वहां, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की मौत पहले ही हो चुकी है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 7, 2020 5:18 AM IST / Updated: Nov 08 2020, 07:19 AM IST

निवाड़ी, मध्य प्रदेश. जिले की पृथ्वीपुर तहसील के सैतपुरा गांव में करीब 100 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद 4 साल के मासूम प्रहलाद को शनिवार देर रात बोरवेल से निकाला गया। हालांकि, बच्चे को जैसे ही अस्पताल ले जाया गया वहां, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की मौत पहले ही हो चुकी है। 

हरकिशन कुशवाहा बेटे प्रहलाद व परिजनों के साथ बुधवार सुबह नौ बजे खेत पर पहुंचे थे। वे कुछ दिन पहले ही करवाए गए बोरवेल में पाइप डालने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच प्रहलाद खेलते हुए 200 फीट गहरे बोरवेल में जा गिरा था। रेस्क्यू में कोई दिक्कत न आए, इसलिए प्रशासन ने वहां धारा 144 लागू की गई थी। इस बीच शनिवार को गांववालों ने बच्चे की सलामती के लिए भजन-कीर्तन भी किए थे।

आर्मी की रेस्क्यू टीम बुलानी पड़ी
 सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। प्रशासन और पुलिस ने अपने स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। फिर बबीना कैंट से आर्मी की टीम बुलाई गई। बच्चे के 60 फीट में फंसे होने की आशंका जताई गई थी। बुधवार देर रात लखनऊ से भी एनडीआरएफ की टीम पहुंच गई थी। 

जानें कैसे चला रेस्क्यू
-शुक्रवार सुबह तक 65 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया..इसके बाद टनल बनाई गई
-बीना रिफाइनरी से ड्रिलिंग मशीन बुलाई गई..लेकिन यह देरी से पहुंची..यह गुरुवार शाम करीब 5.30 बजे बीना से निकली, लेकिन रात करीब 2 बजे पृथ्वीपुर पहुंची
-शुक्रवार दोपहर से मजदूरों से हाथ से खुदाई शुरू की
-लोगों ने सवाल उठाए कि जब मालूम था कि टनल बनाने ड्रिलिंग मशीन की जरूरत पड़ेगी, तो उसे पहले क्यों नहीं बुलवाया गया?
-प्रहलाद बोरवेल में करीब 60 फीट नीचे जाकर फंसा..सुरंग में पानी रिसने से रेस्क्यू में दिक्कत
-घटना की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करते रहे
- इसके बावजूद बच्चे को बचाया नहीं जा सका। 

(घटनास्थल पर बिलखते प्रहलाद के परिजन)
 

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