मध्यप्रदेश में क्या हैं राजनीतिक समीकरण, किसकी बन सकती है सरकार ?

कांग्रेस के दिग्गज नेता और गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार का बंटाधार कर दिया है। अब राज्य में कांग्रेस की सरकार गिरना लगभग तय है। 

भोपाल. कांग्रेस के दिग्गज नेता और गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार का बंटाधार कर दिया है। अब राज्य में कांग्रेस की सरकार गिरना लगभग तय है। सिंधिया जल्द ही भाजपा का हिस्सा बन सकते हैं और उनके पाले के विधायक भी भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं। इसके अलावा सिंधिया अपनी एक अलग पार्टी बनाकर भी शिवराज सरकार को समर्थन दे सकते हैं। फिलहाल अगर कांग्रेस को अपनी सरकार बचानी है तो उसे इन इस्तीफों को नामंजूर करवाना होगा। 

अगर कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं तो पार्टी राज्य में अल्पमत में आ जाएगी और सत्ता भाजपा के हिस्से में चली जाएगी। आइए जानते हैं मध्यप्रदेश में अब क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। 

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अगर सभी इस्तीफे मंजूर तो भाजपा की सरकार
मध्यप्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीट हैं, जिसमें से 2 विधायकों की मौत के बाद सदन में 228 विधायक बचते हैं। अगर कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं। तो सिर्फ 206 सीटों का सदन हो जाएगा और इसमें बहुमत के लिए 104 जरूर आंकड़ा होगा जबकि भाजपा के पास पहले से ही 107 विधायक हैं और यह पार्टी सरकार बना लेगी। इस स्थिति में कांग्रेस के पास 92 विधायक बचेंगे। 

उपचुनाव में भाजपा को 9 और कांग्रेस को 21 सीटों की जरूरत 
अगर राज्य में उपचुनाव होते हैं। तो कांग्रेस के 22 विधायक और 2 पहले से खाली सीटों के लिए राज्य में चुनाव होंगे। इन 24 सीटों में से भाजपा को स्पष्ट बहुमत के लिए 9 और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के लिए 24 में से 21 सीटें जीतनी होंगी। वहीं यदि 4 निर्दलीय भाजपा के साथ आ जाते हैं तो भाजपा को सिर्फ 5 सीटों की जरूरत होगी। हालांकि फिलहाल निर्दलीय विधायक कांग्रेस के साथ हैं और अगर आगे भी ऐसा ही रहा तो कांग्रेस को 17 सीटों की जरूरत होगी। 

अगर बसपा और सपा भाजपा के साथ आए तो उपचुनाव में सिर्फ 2 सीटों की जरूरत 
अगर उपचुनाव से पहले बसपा और सपा ने भी पाला बदलकर भाजपा का समर्थन कर दिया तो भाजपा के 107 विधायक और सपा का 1 विधायक, बसपा के 2 विधायक और 4 निर्दलीय मिलकर 114 विधायक भाजपा के समर्थन में आ जाएंगे। ऐसे में उपचुनाव में भाजपा को सिर्फ 2 सीटों की जरूरत हेगी। 

स्पीकर सभी विधायकों को कर सकते हैं अयोग्य
इस स्थिति में अयोग्य करार दिए गए विधायक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और उपचुनाव में पहले जैसे हालात ही होंगे। इससे कांग्रेस के बागी विधायकों को घाटा हो सकता है। 

कांग्रेस के सभी विधायकों ने इस्तीफे दे दिए तो ?
अगर कांग्रेस के सभी विधायक इस्तीफा दे दें तो राज्यपाल तय करेंगे कि उपचुनाव कराने है या मध्यावधि चुनाव कराने हैं। उपचुनाव होने पर भाजपा के पास फायदा रहेगा और राज्यपाल उसे सरकार बनाने का मौका देंगे।  

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