बीजेपी के तमाम रणनीतिकार और चाणक्य इस वक्त अपना माथा पीट रहे होंगे। आइए जानते हैं अजित पवार के चक्कर में बीजेपी ने वो पांच बड़ी गलतियां क्या कीं, जिसकी भरपाई असंभव है।
मुंबई. महाराष्ट्र में 24 अक्तूबर को चुनाव नतीजे आने के बाद से शुरू महाभारत थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले सरकार में ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री को लेकर बीजेपी शिवसेना का विवादा हुआ और बाद में तय सामी सीमा के अंदर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी भी सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के पास समर्थन का पत्र पेश नहीं कर पाए। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। हालांकि बाद में अजित पवार के समर्थन से देवेंद्र फदणवीस ने दोबारा मुख्यमंत्री शपथ ली। अजित उपमुख्यमंत्री बने।
मगर, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नाटकीय घटनाक्रम में अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। शिवसेना को रोकने की कोशिश में महाराष्ट्र में बीजेपी का दांव उल्टा साबित हुआ। फडणवीस सरकार मुश्किल में है। बीजेपी के तमाम रणनीतिकार और चाणक्य इस वक्त अपना माथा पीट रहे होंगे। आइए जानते हैं अजित पवार के चक्कर में बीजेपी ने वो पांच बड़ी गलतियां क्या कीं, जिसकी भरपाई असंभव है।
1. सरकार बनाने के दूसरे विकल्प पर देर से विचार
नतीजों के बाद बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए शिवसेना से अलग दूसरे विकल्पों (एनसीपी से सपोर्ट) पर समय रहते विचार नहीं किया। शिवसेना से मतभेद के बाद ही पार्टी को इस पर काम करना चाहिए था।
2. सरकार बनाने में जल्दबाज़ी दिखाई
बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन लगने के बाद सरकार बनाने में जल्दबाज़ी दिखाई। मौजूदा हालात पर ठीक से होम वर्क नहीं किया।
3. शिवसेना-एनसीपी में मतभेद का फायदा नहीं उठा पाई
खुद शरद पवार ने कहा था की सरकार बनाने के लिए बँटवारे को लेकर शिवसेना के साथ मतभेद थे। ढाई साल का मुख्यमंत्री पद मांगा जा रहा था। बीजेपी ने इस मतभेद का फायदा उठाने के लिए गलत रास्ते का चुनाव कर लिया।
4.एनसीपी को विश्वास में नहीं लिया
पार्टी ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को भरोसे में नहीं लिया। बीजेपी, एनसीपी को सरकार में हिस्सेदारी का बढ़िया ऑफर देकर साथ मिला सकती थी। मगर पार्टी अजित पर ज्यादा भरोसा कर गई।
5. एनसीपी तोड़ने का फैसला गलत
बीजेपी ने जरूरी समर्थन के लिए एनसीपी तोड़ने का फैसला लिया और अजित पवार पर पूरी तरह से भरोसा किया। जबकि अजित के पास जरूरी विधायकों का समर्थन ही नहीं था।
बताते चलें की विधानसभा में बीजेपी के 105 विधायक हैं। पार्टी को करीब 15 निर्दलीय और अन्य छोटे दलों का समर्थन भी बताया जा रहा है। जबकि विधानसभा में बहुमत के लिए 145 विधायकों की संख्या जरूरी है जो इस वक्त पार्टी के पास नहीं दिखा रही रही है।