
पुणे. एक बुजुर्ग दम्पती को 17 वर्षों तक घर में भूखा रखने का शर्मनाक मामला सामने आया है। अब जाकर बुजुर्गों के सब्र का बांध टूटा और वे पुलिस तक पहुंचे। इस दम्पती को भूलने की बीमारी(अल्जाइमर) है। 85 वर्षीय पति और 80 वर्षीय पत्नी बाहर का सस्ता खाना खाकर अपना पेट भरते रहे। दम्पती के दो बेटे हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। हालांकि अब काउंसिलिंग के बाद बच्चे माता-पिता की सेवा करने को राजी हो गए हैं।
हॉस्टल के मेस से लेना पड़ा खाना
यह परिवार गोखलेनगर में रहता है। करीब 10 साल पहले बेटी की शादी हो गई। वहीं छोटा बेटा और उसकी पत्नी 8 साल पहले दूसरे शहर में शिफ्ट हो गए। दम्पती बड़े बेटे के साथ रहते हैं। दम्पती ने पीड़ा बताई कि बड़ी बहू और बेटे उन्हें परेशान करते थे। उन्हें घर में खाना तक नहीं दिया जाता था। वे रोज 15 रुपए में बारामती हॉस्टल के मेस से सब्जी रोटी लाकर अपना पेट भरते थे।
दम्पती ने 2006 में शिवाजीनगर कोर्ट में मदद की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने बेटे-बहू को आदेश दिया था कि वो दम्पती को 3,500 रुपये महीने दे, लेकिन उन्होंने इसका पालन नहीं किया। इसी 17 मई को परेशान दम्पती ने पुणे पुलिस आयुक्त के. वेंकटेशम को एक लिखित आवेदन दिया था। शिकायत को भारोसा सेल के पास भेजा गया था। यहां बेटे-बहू को बुलाया गया। हालांकि बड़ा बेटा फिर भी मां-बाप को अपने साथ रखने को राजी नहीं हुआ। आखिर में छोटे बेटे ने यह जिम्मेदारी उठा ली।
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