
Protest march in Mumbai: मुंबईवासियों के लिए शनिवार का दिन ट्रैफिक के लिहाज से काफी असुविधाजनक होने वाला है। महा विकास अघाड़ी ने एक ओर महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ विरोध मार्च निकालने का फैसला किया है तो सत्तारूढ़ बीजेपी ने महा विकास अघाड़ी पर हिंदू देवी-देवताओं पर अपमान का आरोप लगाते हुए माफी के लिए विरोध मार्च का ऐलान किया है। पक्ष-विपक्ष दोनों का विरोध प्रदर्शन एक ही दिन है।
क्या कहा सत्तारूढ़ बीजेपी ने?
महाराष्ट्र सरकार की मुख्य घटक बीजेपी ने शनिवार को मुंबई में विरोध मार्च किए जाने का ऐलान किया है। भाजपा ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) से डॉ. बी आर अंबेडकर और हिंदू देवी-देवताओं का 'अपमान' करने के लिए माफी मांगने के लिए मार्च आयोजित किया है। महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस, जो एमवीए में भागीदार हैं। मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार ने शुक्रवार को कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने अंबेडकर की जन्मभूमि पर विवाद पैदा करने की कोशिश की है। एक अन्य नेता सुषमा अंधारे ने भगवान राम, भगवान कृष्ण, संत ज्ञानेश्वर और संत एकनाथ के साथ-साथ वारकरी समुदाय का 'अपमान' किया।
उन्होंने कहा कि शिवसेना के नेताओं द्वारा हिंदू देवताओं का अपमान किया है और हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है। लेकिन इन सबके बावजूद उद्धव ठाकरे अपनी चुप्पी तोड़ने को तैयार नहीं है। शेलार ने कहा कि राउत झूठा बयान देकर अंबेडकर के जन्मस्थान को लेकर विवाद पैदा किया है। कांग्रेस ने ही डॉ.बीआर अंबेडकर को चुनाव हरवाने का काम किया था। और उसी कांग्रेस से मिलकर उद्धव ठाकरे ने सरकार बनाया। ठाकरे, मुंबई में सभी छह लोकसभा क्षेत्रों में माफी मांगें। इसके लिए माफी मांगो मार्च का आयोजन किया गया है।
क्या कहा एमवीए नेताओं ने?
उधर, एमवीए नेताओं ने विरोध मार्च की जानकारी देते हुए कहा कि बीजेपी सरकार, महा अघाड़ी के विरोध प्रदर्शन के ऐलान से डर गई है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि भाजपा एमवीए के निर्धारित विरोध मार्च से डर गई है क्योंकि यह लोगों के सरकार के प्रति अपने विरोध को सामने लाएगा। बीजेपी का विरोध मार्च हास्यास्पद है।
शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि एमवीए का विरोध मार्च महाराष्ट्र के साथ हुए 'अन्याय', शिवाजी महाराज और महात्मा फुले जैसे राज्य के दिग्गजों के अपमान के खिलाफ है। राउत ने कहा कि मार्च, कर्नाटक के सीमावर्ती इलाकों में मराठी भाषियों के खिलाफ अत्याचार के खिलाफ है और साथ ही औद्योगिक परियोजनाओं को भी राज्य से बाहर कर दिए जाने के खिलाफ है। महा विकास अघाड़ी का विरोध मार्च जनता का विरोध प्रदर्शन है न कि सरकारी तंत्र प्रायोजित।
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