वामपंथी नेता और तर्कवादी गोविंद पानसरे की हत्या के करीब 8 साल बाद महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर की एक अदालत ने मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं। मामले में आरोप तय होने के बाद आपराधिक मुकदमा शुरू होता है।
पुणे(Pune). वामपंथी नेता और तर्कवादी गोविंद पानसरे(communist leader and rationalist Govind Pansare) की हत्या के करीब 8 साल बाद महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर की एक अदालत ने मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं। मामले में आरोप तय होने के बाद आपराधिक मुकदमा(criminal trial) शुरू होता है। पढ़िए पूरी डिटेल्स..
1. जज एसएस तांबे ने सोमवार(9 जनवरी) को समीर गायकवाड़, वीरेंद्र सिंह तावड़े, अमोल काले, वासुदेव सूर्यवंशी, भरत कुराने, अमित देगवेकर, शरद कालस्कर, सचिन अंदुरे, अमित बद्दी और गणेश मिस्किन के खिलाफ आरोप तय किए। मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस के एक विशेष जांच दल(SIT) ने की थी।
2. सरकारी वकील( public prosecutor) शिवाजीराव राणे ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 120-बी (साजिश) और आर्म्स एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए गए थे।
3. राणे ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी। मामले के 12 आरोपियों में से विनय पवार और सारंग अकोलकर फरार हैं।
4. बाकी लोगों में से समीर गायकवाड़ जमानत पर बाहर हैं। वीरेंद्र सिंह तावड़े को भी इस मामले में जमानत मिल गई थी, लेकिन वह एक अन्य तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड( rationalist Narendra Dabholkar murder case) में जेल में हैं।
5.दाभोलकर मामले में कालस्कर और अंदुरे को भी आरोपी बनाया गया है। प्रसिद्ध अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता( anti-superstition activist) डॉ. दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे शहर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
6. गोविंद पानसरे और उनकी पत्नी उमा पानसरे को 15 फरवरी, 2015 को कोल्हापुर शहर में सुबह की सैर के दौरान गोली मार दी गई थी।
7. पांच दिन बाद गोविंद पानसरे की मृत्यु हो गई, जबकि उनकी पत्नी बच गई। जांच एजेंसियों के मुताबिक, मामले के कुछ आरोपी दाभोलकर, कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्याओं से भी जुड़े थे।
8. पानसरे के परिवार के सदस्यों की अर्जी पर हाईकोर्ट ने जांच के लिए वर्ष 2015 में एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था।
9. पानसरे की हत्या क्यों की और इसके पीछे कौन मास्टरमाइंड था, इसका अब तक पता नहीं चल पाया है। परिवार ने यह जांच SIT से वापस लेकर एटीएस को सौंपने तक की मांग उठा दी थी।
10.याचिका में मांग की गई थी कि डॉ. नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, प्रो. कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्याओं की ठीक से जांच नहीं हो पाई है। ये हत्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं। हत्याकांड के मास्टरमाइंड का पता लगाने के लिए जांच एटीएस को सौंपी जानी चाहिए।
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