जीवन की सांसें अगर चलती हैं, तो सिर्फ हौसलों के बूते! हिम्मत हारी, तो समझे जिंदगी हारी! यह लड़की जीवन के संघर्ष की ऐसी ही एक अद्भुत कहानी है। एक्सीडेंट के बाद यह लड़की मौत के करीब पहुंच गई थी। लेकिन फिर कोमा से उठी और 12th में 94% अंक लाकर मिसाल पेश कर दी। उसके पिता ने अब यह भावुक कहानी शेयर की है।
नागपुर. जिंदगी में हिम्मत से बड़ा कुछ भी नहीं। अगर हौसला है, तो मौत भी पीछे हट जाती है। इंसान की सांसें भी साहस से चलती हैं। यह हैं पाखी मोर। पाखी एक भीषण एक्सीडेंट के बाद लंबे समय तक कोमा में रही। ब्रेन डैमेज हो चुका था। बचने की उम्मीद न के बराबर, लेकिन जीने का हौसला जिंदा था। लिहाजा पाखी कोमा से बाहर निकली। फिर 12th का एग्जाम दिया और 94% अंक लाकर मिसाल पेश कर दी।
एक इमोशनल कहानी
17 साल की पाखी नंवबर 2017 को अपने टूव्हीलर से ट्यूशन जा रही थीं, तभी एक गाड़ी से जबर्दस्त टक्कर हो गई। इस एक्सीडेंट में पाखी गंभीर रूप से घायल हो गईं। पाखी के पिता अरुनि यह बताते हुए भावुक उठते हैं कि एक्सीडेंट से पाखी के सिर में गहरी चोट लगी थी। उसके शरीर के निचले हिस्से में कई फ्रैक्चर हो गए थे। वो कोमा के करीब पहुंच गई थी। बेटी की हालत लगातार खराब होती जा रही थी। उन्होंने अपनी बेटी की जिंदगी बचाने पूरी ताकत-पैसा झोंक दिया। पिछली जनवरी को एम्बुलेंस से पाखी को मुंबई के कोकिलाबेन अंबानी हॉस्पिटल में लाया गया।
डॉक्टर भी हैरान
इस हॉस्पिटल के डॉक्टर अभिषेक बताते हैं कि पाखी के दिमाग का एक हिस्सा बुरी तरह डैमेज हो गया था। यह हिस्सा व्यक्ति के बोलने-पढ़ने और बातचीत को कंट्रोल करता है। पाखी कुछ भी नहीं कर सकती थी। एक्सीडेंट के वक्त पाखी ने हेलमेट पहन रखा था, बावजूद उसके दिमाग की मिडलाइन डैमेज हो गई थी। हॉस्पिटल में पाखी की 6-8 हफ्तो की न्यूरो रीहैबिलिटेशन थेरेपी कराई गई। इससे पाखी की हालत में तेजी से सुधार हुआ। इसके बाद पाखी ने 12th का एग्जाम दिया। अब पाखी के लिए सेंट जेवियर्स कॉलेज ने एक सीट रिजर्व छोड़ी है। डॉक्टर हैरानी जताते हैं कि अपने प्रोफेशन में ऐसा उन्होंने पहली बार देखा, जब कोई पेशेंट न्यूरो रीहैबिलिटेशन थेरेपी, फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी से इतनी जल्दी रिकवर हुई।