बेबस पति संक्रमित पत्नी को लेकर भटकता रहा, कहीं नहीं मिला इलाज..महिला ने दुखी होकर लगा ली फांसी

पुणे शहर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद बेबस पति थक हार के आखिरकार संक्रमित पत्नी को अपने घर ले आया। पति अपनी किस्मत से दुखी था कि वह अपनी पत्नी को भर्ती तक नहीं करा पा रहा है। वहीं महिला भी ऑक्सीजन नहीं मिलने से तड़प रही थी। आखिर में अगले दिन उसने पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

Asianet News Hindi | Published : Apr 17, 2021 11:59 AM IST

पुणे. पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, महामारी की दूसरी लहर बेकाबू होती जा रही है। संक्रमित मरीजों के लिए अस्पतालों में ICU और आक्सीजन तो दूर की बात है, अब तो सामान्य बिस्तर भी नहीं मिल पा रहे हैं। महाराष्ट्र पुणे से एक ऐसी दिल को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है जिसे जान लोग कहने लगे हैं कि अब तो सब भगवान के ऊपर है। वायरस के कहर से पता नहीं कौन बजे कौन नहीं। यहां एक पॉजिटिव महिला को लेकर उसका पति भर्ती कराने को लेकर अस्पतालों को चक्कर लगाता रहा, लेकिन बेड फुल होने की वजह से उसे किसी ने एडमिट नहीं किया। आखिर में महिला ने दुखी होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

बेबस पति संक्रमित पत्नी को लेकर भटकता रहा
दरअसल, यह मार्मिक खबर पुणे शहर के वारजे इलाके की है, जहां 41 वर्षीय महिला को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। 12 अप्रैल की शाम पति ने उसकी कोरोना जांच कराई तो उसकी रिपोर्ट  पॉजिटिव निकली। इसके बाद वह बेबस पति अपनी पत्नी के इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्तपाल के चक्कर काटता रहा। लेकिन सभी ने यह कहकर वापस लौटा दिया कि यहां बेड खाली नहीं है।

महिला ने दुखी होकर लगा ली फांसी
पुणे शहर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद बेबस पति थक हार के आखिरकार संक्रमित पत्नी को अपने घर ले आया। पति अपनी किस्मत से दुखी था कि वह अपनी पत्नी को भर्ती तक नहीं करा पा रहा है। वहीं महिला भी ऑक्सीजन नहीं मिलने से तड़प रही थी। आखिर में अगले दिन उसने पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

पत्नी के लिए अपनी जान दे देता, लेकिन वह हार गई
पति ने कहा-“मेरी पत्नी किसी भी अस्पताल में एक भी बिस्तर नहीं मिलने के कारण मानसिक रूप से हिल गई थी, उसे भयानक खांसी और तेज बुखार भी था। इतना ही नहीं वो ठीक से सांस तक नहीं ले पा रही थी। पहले दिन मैं उसे किसी अस्तपताल में बेड नहीं दिला पाया, लेकिन मुझे यकीन था कि अगले दिन में उसे जरूर एडमिट करा दूंगा। अपनी जान देकर भी उसका इलाज कराता, लेकिन उसने मुझसे पहले ही हार मान ली और दुखी होकर दुनिया छोड़कर चली गई।
 

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