नवजात के साथ 2 दिनों से भूखे-प्यासे एक कमरे में बंद थे दम्पती, चारों तरफ भरा हुआ था पानी

कहते हैं कि जाको राखे साईंया मार सके न कोय! ऐसा ही इस 2 महीने की बच्ची और उसके मां-बाप के साथ हुआ। भारी बारिश के कारण पुणे के कुछ गांव बाढ़ में घिरे हुए हैं। यह बच्ची और उसके मां-बाप भी 48 घंटे से एक कमरे में भूखे-प्यासे बंद थे। इस बीच NDRF की टीम की नजर उन पर पड़ी। इस तरह सबका रेस्क्यू हो गया। अब तक पुणे जिले से 3000 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 17, 2020 6:08 AM IST

 

पुणे, महाराष्ट्र. जिंदगी और मौत के बीच मामूली-सा अंतर होता है। कहते हैं कि जिसकी जितनी जिंदगी होती है, वो इतनी जरूर जीता है। 2 महीने की यह बच्ची अपने मां-बाप के साथ बाढ़ में घिरी हुई थी। भूखे-प्यासे ये लोग बंद कमरे में कैद होकर रह गए थे। चारों तरफ पानी भरा हुआ था। अगर कुछ घंटे और यूं ही बाढ़ में घिरे रहते, तो जिंदा रह पाना मुश्किल हो जाता। लेकिन कहते हैं कि जाको राखे साईंया मार सके न कोय! ऐसा ही इन लोगों के साथ हुआ।  NDRF की टीम की नजर उन पर पड़ी। इस तरह सबका रेस्क्यू हो गया। अब तक पुणे जिले से 3000 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है।


नदियों के मुहाने पर बसे गांव डूबे

लौटते मानसून ने तेलंगाना और महाराष्ट्र में कहर बरपा दिया है। पिछले दिनों हैदराबाद में हुई भारी बारिश से सड़कें नदियां बन गई थीं। मकान गिरने और अन्य घटनाओं में कई लोगों की मौत हो गई थी। यहां महाराष्ट्र के पुणे में लगातार बारिश से बाढ़ आ गई है। शहर के बारामती इलाके में स्थित नीरा और कन्हा नदी के बाढ़ आने से समीपवर्ती गांव डूबे हुए हैं। यहां फंसे लोगों को निकालने एनडीआरएफ की टीमें लगातार रेस्क्यू कर रही हैं। अब तक 3000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है।

बाढ़ में फंसा था इस बच्ची का परिवार..

सोनगांव में रहने वाले सोलवलकर दम्पती अपनी 2 महीने की बच्ची के साथ घर में एक कमरे में बंद होकर रह गए थे। इसी बीच शुक्रवार सुबह NDRF की टीम ने उनका रेस्क्यू किया। इसी गांव से 25 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि शनिवार यानी 17 अक्टूबर तक यहां भारी बारिश की आशंका है।
 

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