
मुंबई। रंगों का त्योहार होली (Holi 2022) पूरे भारत में बहुत ही उत्साह और परंपरा के साथ मनाया जाता है। होली देश में नए फसल के मौसम के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक, होली सभी द्वारा मनाई जाती है। होली मनाने की प्रथा हर जगह अलग-अलग है।
होली की परंपराएं एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होती हैं और यह विविधता कभी-कभी बहुत अनोखी या आकर्षक हो सकती है। आज हम आपको एक ऐसी अनूठी परंपरा के बारे में बताएंगे जो देश के पश्चिमी हिस्से में महाराष्ट्र के एक सुदूर गांव में दशकों से चली आ रही है। महाराष्ट्र के बीड जिले में यह अनोखी होली परंपरा 90 से अधिक वर्षों से देखी जा रही है। यह अनुष्ठान बीड जिले के केज तहसील के विदा गांव में किया जाता है।
दामाद को करनी होती है गधे की सवारी
बीड जिले में स्थित विदा गांव में गांव के 'नवीनतम दामाद' को गधे की सवारी करनी होती है। इस मौके पर उसे अपनी पसंद के कपड़े मिलते हैं। गांव के लोग पूरे साल इस बात का ध्यान रखते हैं कि किसकी बेटी की शादी कब हुई। शादी के डेट के अनुसार गांव के नए दामाद की पहचान की जाती है। गांव वाले नए दामाद पर नजर रखते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह होली के त्योहार पर लापता न हो जाए। ऐसा जरूरी है क्योंकि नए दामाद के गधे की सवारी करने से बचने के लिए लापता होने की आशंका रहती है।
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आनंदराव देशमुख ने शुरू की थी परंपरा
परंपरा की शुरुआत आनंदराव देशमुख नाम के एक निवासी ने की थी। उन्हें ग्रामीणों द्वारा बहुत सम्मान दिया जाता था। नए दूल्हे को गधे की सवारी देने की परंपरा आनंदराव के दामाद से शुरू हुई थी और तब से जारी है। सवारी गांव के बीच से शुरू होती है और 11 बजे हनुमान मंदिर पर समाप्त होती है। इस अवसर पर दामाद को उनकी पसंद के कपड़े भी दिए जाते हैं।
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