दही हांडी फोड़ने को मिला खेल का दर्जा: गोविंदाओं को मिलेगी 10 लाख की मदद, सरकारी नौकरी में 5 फीसदी रिजर्वेशन

कृष्ण जन्माष्टमी महाराष्ट्र का प्रमुख त्योहार है। यहां दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। महाराष्ट्र सरकार ने अब इसे खेल का दर्जा दिया है। दही हांडी प्रतियोगिता में शामिल होने वाले गोविंदाओं को राज्य में सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलेगा। 

मंबई. कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर महाराष्ट्र में आयोजित होने वाली दही हांडी प्रतियोगिता को खेल का दर्जा दिया गया है। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने इस बात की जानकारी गुरुवार को विधानसभा सत्र में दी। उन्होंने बताया कि जल्द ही इसके लिए नियम बनाए जाएंगे और प्रतियोगिता का आयोजन कराया जाएगा। बड़ी बात ये है कि अन्य खेलों की तरह इस खेल मे शामिल होने वाले गोविंदाओं को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिया जाएगा इसके साथ ही उन्हें मुआवजा भी दिया जाएगा। 

सीएम एकनाथ शिंदे ने बताया कि दही हांडी एडवेंचर स्पोर्ट्स माना जाएगा। उन्होंने कहा कि दही हांडी में शामिल होने वाले गोविंदाओं को सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओं का लाभ दिया जाएगा और उन्हें राज्य सरकार की सरकारी नौकरी में 5 प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ बीमा और क्लेम की भी सुविधा दी जाएगी। इसके लिए प्रो कबड्डी की तरह जल्द ही नियम बनाकर राज्य में यह प्रतियोगिता शुरू की जाएगी। यह प्रतियोगिता केवल जन्माष्टमी के मौके पर नहीं बल्कि सालभर आयोजित की जाएगी। 

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प्रतियोगिता में शामिल खिलाड़ियों को मिलेगा मुआवजा
सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा- दही हांडी प्रतियोगिता में शामिल गोविंदाओं को मुआवजा भी दिया जाएगा। दही हांडी फोड़ते समय अगर किसी तरह का हादसा हो जाता है या फिर किसी गोविंदा की मौत हो जाती है तो उस गोविंदा की फैमली को 10 लाख रुपए की हेल्प की जाएगी। गंभीर रूप से जख्मी होने वाले गोविंदाओं को  7.50 लाख रुपए की मदद की जाएगी।  वहीं, अगर किसी गोविंदा की हाथ-पैर फैक्चर हो जाता है तो उसे 5 लाख रुपए दिए जाएंगे। 

महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है दही हांडी
बता दें कि महाराष्ट्र में दही हांडी प्रतियोगिता बड़े ही धूम धाम के साथ मनाई जाती है। अभी ये केवल श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर आयोदित किया जाता है। बता दें कि मटकी फोड़ने वालों को गोविंदा कहा जाता है। यहां 30-30 फीट ऊंची पिरामिड बनाकर मटकी फोटी जाती है। बता दें कि मुंबई में 1907 में सबसे पहले मटकी फोड़ने की शुरुआत हुई थी उसके बाद से हर साल राज्य में बड़े ही धूमधाम से यह पर्व मनाया जाता है।

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