CBI कोर्ट ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को क्यों नहीं दी डिफॉल्ट जमानत, क्या कहता है कानून?

महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगे 100 करोड़ रुपये वसूली के टारगेट वाले केस में कोर्ट ने डिफॉल्ट बेल नामंजूर कर दी है। सीबीआई द्वारा 60 दिनों के भीतर चार्जशीट नहीं पेश करने पर देशमुख के वकील ने डिफॉल्ट बेल की मांग की थी। 

Dheerendra Gopal | Published : Jul 12, 2022 12:42 PM IST / Updated: Jul 12 2022, 06:15 PM IST

मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। मंगलवार को मुंबई की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में देशमुख को डिफ़ॉल्ट जमानत देने से इनकार करते हुए कहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो की चार्जशीट सभी रिक्वायरमेंट्स को पूरा करती है।

विशेष सीबीआई अदालत (Special CBI Court)  ने सोमवार को कहा कि निर्धारित अवधि के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं करने के लिए जमानत याचिकाओं पर विचार करते समय अदालतें बहुत तकनीकी नहीं हो सकतीं। न्यायाधीश एस एच ग्वालानी (Judge S H Gwalani) ने भ्रष्टाचार मामले में देशमुख और दो अन्य आरोपियों एनसीपी नेता के पूर्व निजी सचिव संजीव पलांडे और पूर्व निजी सहायक कुंदन शिंदे की डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

Latest Videos

अनिवार्य अवधि में आरोप पत्र जमा नहीं किया

तीनों ने इस आधार पर डिफ़ॉल्ट जमानत मांगी कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 60 दिनों की अनिवार्य अवधि के भीतर अपना आरोप पत्र जमा नहीं किया था और एजेंसी द्वारा दायर आरोप पत्र अधूरा था। दलीलों में यह भी दावा किया गया कि सीबीआई ने चार्जशीट के साथ प्रासंगिक दस्तावेज जमा नहीं किए थे और वे अनिवार्य समय अवधि के बाद जमा किए गए थे। सीबीआई ने दलीलों का विरोध किया था और तर्क दिया था कि उसने निर्धारित समय अवधि में आरोप पत्र जमा किया था।

क्या है डिफॉल्ट जमानत के नियम?

सीआरपीसी की धारा 173 के अनुसार, आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दायर किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आरोपी सीआरपीसी की धारा 167 के प्रावधानों के तहत डिफॉल्ट जमानत की मांग कर सकता है। अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 167 के तहत प्रदान की गई निर्धारित अवधि के भीतर पुलिस रिपोर्ट (चार्जशीट) दाखिल न करने पर डिफॉल्ट जमानत का अधिकार एक अक्षम्य अधिकार है जो संविधान के अनुच्छेद 21 से आता है।

न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह के अपरिहार्य अधिकार को किसी भी छल से पराजित नहीं किया जा सकता है। अदालतें सीआरपीसी की धारा 167 के तहत निर्धारित अवधि के भीतर पुलिस रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के लिए जमानत के लिए एक आवेदन पर विचार करते समय बहुत तकनीकी नहीं हो सकती हैं। अदालत ने कहा कि सीबीआई द्वारा 2 जून को दायर आरोप पत्र में कानून की सभी आवश्यकताओं का अनुपालन किया गया था और इसलिए यह एक उचित रिपोर्ट थी, जिसे सीआरपीसी की धारा 167 के तहत निर्दिष्ट अवधि के भीतर दायर किया गया था।

न्यायाधीश ने कहा कि रिपोर्ट के साथ दस्तावेज और गवाहों के बयान दाखिल नहीं करने से यह अधूरा आरोपपत्र नहीं बन जाता। अदालत ने कहा कि चूंकि, सीआरपीसी की धारा 173 के तहत अपेक्षित रिपोर्ट समय के भीतर दायर की गई थी, इसलिए डिफ़ॉल्ट जमानत लेने का अधिकार कभी भी आवेदकों (आरोपी) के पक्ष में अर्जित नहीं हुआ।

यह है मामला?

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने मार्च 2021 में आरोप लगाया कि एनसीपी नेता व पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को शहर में रेस्तरां और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये इकट्ठा करने का लक्ष्य दिया था। हाईकोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने अपनी जांच के आधार पर देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आधिकारिक शक्ति के दुरुपयोग के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की। ईडी ने देशमुख को नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। उन्हें इस साल अप्रैल में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में भी वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

यह भी पढ़ें:

बर्बाद श्रीलंका में खाने का संकट, लोग सड़कों पर, राष्ट्रपति फरार, बिना नेता के कैसे चलेगा देश?

J & K में प्रोजेक्ट को पास करने को 300 करोड़ का मिला था ऑफर, सत्यपाल मलिक के खुलासे पर CBI का 16 जगहों पर रेड

Share this article
click me!

Latest Videos

झारखंड में सिर्फ भाजपा ही कर सकती है ये काम #shorts
पितरों को करना है प्रसन्न, घर में ही कर सकते हैं ये 10 उपाय । Pitra Paksh
अमेरिका में किया वादा निभाने हरियाणा के करनाल पहुंचे राहुल गांधी | Haryana Election
घूंघट में महिला सरपंच ने अंग्रेजी में दिया जोरदार भाषण, IAS Tina Dabi ने बजाई तालियां
Odisha Case: Rahul Gandhi ने Army अधिकारी की मंगेतर से थाने में बर्बरता पर साधा निशाना