संकट में महाराष्ट्र के सीएम : फैमिली तक पहुंची ED की जांच, इसी कारण कुर्सी गंवा चुके हैं दो मुख्यमंत्री

पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने इस कार्रवाई के बाद आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हवाला कारोबारी नंदकिशोर चतुर्वेदी से ठाकरे परिवार की करीबी है। चतुर्वेदी को एक ऐसे कंपनी बेची गई थी, जिसके मालिक या पार्टनर सीएम के बेटे आदित्य ठाकरे और पत्नी रश्मि ठाकरे थीं।

मुंबई : महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) इन दिनों संकट में दिखाई दे रहे हैं। साले श्रीधर पाटनकर (Shridhar Patankar) के खिलाफ की गई ED की कार्रवाई के बाद अब जांच की आंच उनकी फैमिली तक पहुंचने लगी है। यही कारण है कि राज्य की सियासत में बड़ी हलचल देखने को मिल रही है। एक तरफ मुख्यमंत्री अपने विधायकों और सहयोगी नेताओं से चर्चा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी (BJP) हमलावर है। इन सबसे बीच जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है वो ये कि इससे पहले भी सूबे में रिश्तेदारों के चलते दो मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी गंवा चुके हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि सीएम उद्धव पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। 

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क्या है पूरा मामला

प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री के साले की करोड़ों की संपत्ति जब्त की है। मंगलवार को ठाणे के नीलांबरी परियोजना में बने 11 आवासीय फ्लैट को सीज कर दिया। जिसकी कीमत 6.45 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। श्रीधर पाटनकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे के भाई हैं। वे पुष्पक समूह में पार्टनर हैं। अब तक महाविकास अघाड़ी के मंत्री और नेता ईडी की रडार पर थे, लेकिन इस कार्रवाई के बाद अब सीएम की फैमिली भी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गई है।

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ये मुख्यमंत्री गंवा चुके हैं अपनी कुर्सी

बता दें कि प्रदेश में रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के चलते दो मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी गंवा चुके हैं। शिवसेना-भाजपा गठबंधन के पहले मुख्यमंत्री मनोहर जोशी (Manohar Joshi) को अपने दामाद के कारण पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कहा जाता है कि तब पुणे (Pune) में एक स्कूल की एक जमीन का आरक्षण बदलकर जोशी के दामाद गिरीश के एक करीबी को दिया था। कुछ दिनों में ही वहां 10 मंजिला मकान बना दिया गया। मुद्दा गरमाया तो जोशी को सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिली और सीएम पद भी छोड़ना पड़ा। वहीं, आदर्श हाउसिंग घोटाले में सास के नाम पर फ्लैट होने के कारण अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

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