गवाह ने दावा किया कि ATS के वरिष्ठ अधिकारियों ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, स्वामी असीमानंद और इंद्रेश सहित चार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके नेताओं का नाम लेने का दबाव बनाया था। साथ धमकी दी गई कि अगर वो अन पांचों का नाम नहीं लेता है तो उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा और उन्हें बुरे परिणाम भुगतने होंगे।
मुंबई : महाराष्ट्र (Maharashtra) के मालेगांव ब्लास्ट (Malegaon Blast) के एक गवाह ने स्पेशल NIA कोर्ट में सुनवाई के दौरान ऐसा दावा किया कि, जिस पर अब सियासी बवाल हो गया है। साल 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले के एक गवाह ने मंगलवार 28 दिसंबर को कोर्ट के सामने पेश हुआ। सुनवाई के दौरान उसने कहा कि ATS के वरिष्ठ अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और स्वामी असीमानंद (Swami Aseemanand) और इंद्रेश कुमार (Indresh kumar) सहित चार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं का नाम लेने का दबाव बनाया था।
किसने डाला दबाव
इस मामले के एक आरोपी समीर कुलकर्णी ने एक टेलीविजन चैनल को उस गवाह के खुलासे की जानकारी दी है। कुलकर्णी ने बताया कि गवाह ने कोर्ट को बताया कि परमबीर सिंहऔर राव नामक एक अधिकारी ने उस पर दबाव डाल इस मामले में योगी आदित्यनाथ के साथ संघ के चार अन्य नेताओं इंद्रेश कुमार, स्वामी असीमानंद, काका जी और देवधर का नाम लेने को कहा था। उसने बताया कि गवाह को सबसे पहले तो ATS के मुंबई और पुणे के ऑफिस में अवैध रूप से रोककर रखा गया, वहां उसे दबाव बनाने के साथ साथ धमकी दी गई कि अगर वो अन पांचों का नाम नहीं लेता है तो उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा और उन्हें बुरे परिणाम भुगतने होंगे। बता दें कि अपने बयान के मुकरने वाले 15वे गवाह ने अपना पांच पन्ने का बयान NIA कोर्ट में दर्ज कराया है
योगी आदित्यनाथ का कांग्रेस पर निशान
जैसे ही गवाह के बयान की जानकारी सामने निकलकर आई, सियास में उबाल आ गया। बीजेपी कांग्रेस पर निशाना साध रही है। कह रही है कि कांग्रेस ने ही गलत तरीके से 'हिंदू आतंकवाद' शब्द गढ़ा है। वहीं गवाह के खुलासे के बाद अब सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस (congress) पर हमला बोला है। फर्रूखाबाद में जन विश्वास यात्रा के दौरान सीएम योगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के राज में हिंदुओं पर झूठे केस दर्ज किए गए, इसके लिए पार्टी को माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस का यही चेहरा - संघ
वहीं RSS नेता इंद्रेश कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि मनमोहन सिंह (Manmohan Singh), सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh), सुशील शिंदे, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के नेतृत्व में जो यूपीए सरकार थी, उन्होंने एक सोची समझी साजिश को जन्म दिया। जांच एजेंसियों का गलत उपयोग कर आरोपी बनाने की कोशिश की गई। उस वक्त के FIR में मेरा या योगी आदित्यनाथ का नाम नहीं था। आज राहुल गांधी खुद को हिंदू बता रहे हैं जबकि उस वक्त हिंदू को आतंकवाद कहा गया था।
क्या था मालेगांव बम ब्लास्ट
29 सितंबर 2008 की रात करीब 9 बजकर 35 मिनट पर मालेगांव में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के ठीक सामने एक बम धमाका हुआ था। यह धमाका LML मोटरसाइकिल में हुआ था। इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 लोग घायल हुए थे। धमाके के बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ था। महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बाद ATS ने इस मामले की जांच अपने पास ली और 21 अक्टूबर 2008 को FIR में UAPA और मकोका की धारा लगाई गई।
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