शरद पवार का चौंकाने वाला बयान, कहा- मेरे माइंडगेम के सामने शिवसेना जाल में फंस गई, जानिए क्या है इसके मायने

शरद पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनसीपी के साथ गठबंधन चाहते थे, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि 2019 विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी उनकी पार्टी एनसीपी के साथ गठबंधन करना चाहती थी, लेकिन वह इसके पक्ष में नहीं थे।

Asianet News Hindi | Published : Dec 30, 2021 8:10 AM IST / Updated: Dec 30 2021, 01:57 PM IST

मुंबई : NCP चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। एक मराठी अखबार के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के दौरान उन्होंने कहा कि उनके माइंडगेम के सामने शिवसेना एनसीपी के जाल में फंस गई। इसके साथ ही उन्होंने कई खुलासा किया। शरद पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) एनसीपी के साथ गठबंधन चाहते थे, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि 2019 विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी (BJP) उनकी पार्टी एनसीपी के साथ गठबंधन करना चाहती थी, लेकिन वह इसके पक्ष में नहीं थे।

माइंडगेम में फंसी शिवसेना
शरद पवार ने कहा कि यह सच है कि NCP और BJP के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें इसके बारे में सोचना चाहिए। हालांकि, मैंने उनसे कहा था कि यह संभव नहीं है और मैं उन्हें (शिवसेना) अंधेरे में नहीं रखना चाहूंगा। पवार ने कहा कि उन्होंने बस यूं ही कहा था कि NCP,बीजेपी को समर्थन देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इससे शायद शिवसेना के मन में संदेह पैदा हो गया, जिससे कांग्रेस और NCP के साथ गठबंधन के लिए कदम बढ़ाया। शरद पवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने एक अलग रुख अपनाया, क्योंकि उनके और बीजेपी के बीच जो फैसला किया गया था, उसे लागू नहीं किया जा रहा था। NCP ने दिवंगत बालासाहेब ठाकरे के लिए शिवसेना का समर्थन किया, जिसे उन्होंने एक मित्र के रूप में बताया।

मैंने अजीत को बीजेपी के साथ नहीं भेजा
बीजेपी के साथ अजीत पवार के सरकार बनाने के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि अगर मैंने अजीत पवार को बीजेपी में भेजा होता तो मैंने अधूरा काम नहीं किया। बीजेपी ने एनसीपी के साथ गठजोड़ पर विचार किया होगा क्योंकि उस समय उनकी पार्टी NCP और कांग्रेस के बीच संबंध तनावपूर्ण थे। हम साथ नहीं चल रहे थे इसलिए बीजेपी ने ऐसा सोच लिया होगा।

मोदी का वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला सही
शरद पवार ने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश गए और कई परियोजनाओं की घोषणा की, उससे पता चलता है कि बीजेपी ने राज्य में स्थिति को गंभीरता से लिया है। पवार के अनुसार, यूपी और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के चुनावी फैसले राष्ट्रीय राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। मोदी ने वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़कर सही काम किया। उनके फैसले के कारण, उत्तर प्रदेश के लोग उनके पीछे खड़े हो गए।

मैं और मनमोहन सिंह बदले की कार्रवाई के खिलाफ
शरद पवार ने कहा कि वो खुद और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बदले की राजनीति के खिलाफ थे। तत्कालीन UPA सरकार के कुछ कैबिनेट सहयोगी मोदी के खिलाफ थे। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। यह ध्यान में लाते हुए कि मोदी, उस समय मनमोहन सिंह सरकार के गंभीर आलोचक थे,। पवार ने कहा, इससे दिल्ली और गुजरात के बीच की दूरी बढ़ गई। मेरे अलावा और कोई नहीं था जो मोदी से बातचीत के लिए तैयार था। उनके अनुसार, मनमोहन सिंह ने मेरे तर्कों को स्वीकार कर लिया कि हमें राज्य के विकास के रास्ते में राजनीतिक मतभेदों को नहीं आने देना चाहिए।

कांग्रेस से अलग होना कितना सही
कांग्रेस से अलग आकर पार्टी बनाने के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि मेरे परिवार का राजनीतिक झुकाव वामपंथी था, मैं गांधी, नेहरू और यशवंतराव चव्हाण की विचारधारा से प्रेरित था। मुझे कांग्रेस ने छह साल के लिए निलंबित कर दिया था, क्योंकि मैंने पार्टी की बैठक में अपने विचार खुलकर व्यक्त किए थे। उसके बाद, मेरे पास अपने समर्थकों के लिए एक मंच प्रदान करने का काम था, लेकिन मैंने गांधी, नेहरू और यशवंतराव चव्हाण की विचारधारा को कभी नहीं छोड़ा। पवार ने कहा कि वह 1991 में मुख्यमंत्री के रूप में महाराष्ट्र की राजनीति में कभी नहीं लौटना चाहते थे। लेकिन एक बार जब मैं लौटा, तो मैंने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया।

क्या मोदी का कोई विकल्प है
पीएम मोदी के विकल्प के सवाल पर पवार ने कहा कि चुनाव के मैदान में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपके सामने कौन है। लोग ठान लें तो बदलाव आता है, जो पहले भी साबित हो चुका है। यह आने वाले चुनावों में देखने को मिलेगा। आपातकाल के बाद के चुनावों में इंदिरा गांधी के सामने कोई नेतृत्व नहीं था, लेकिन अलग-अलग दल एक साथ आए और चुनाव लड़ा। मोरारजी देसाई तब जनता पार्टी से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं थे। आज स्थिति वही है। हालांकि, अलग-अलग दलों को एक साथ आने और एक मोर्चा बनाने की जरूरत है।

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