'धर्म संसद में जो कुछ कहा गया वो हिंदुत्व नहीं, हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्ववादी - मोहन भागवत

Published : Feb 07, 2022, 10:39 AM ISTUpdated : Feb 07, 2022, 10:51 AM IST
'धर्म संसद में जो कुछ कहा गया वो हिंदुत्व नहीं, हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्ववादी - मोहन भागवत

सार

भागवत ने कहा कि व्यक्तिगत लाभ या दुश्मनी को लेकर गुस्से में कही गई बात हिंदुत्व नहीं। संघ लोगों को बांटने में नहीं, बल्कि उनके बीच पैदा हुए मतभेदों को दूर करने में विश्वास करता है।  

मुंबई : हरिद्वार (Haridwar) में पिछले दिनों हुए धर्म संसद में कथित तौर हिंदू और हिंदुत्व पर कही बातों पर संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि धर्म संसद से निकली बातें हिंदू और हिंदुत्व की परिभाषा के अनुसार नहीं थीं। अगर कोई बात किसी समय गुस्से में कही जाए तो वह हिंदुत्व नहीं है। एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि RSS और हिंदुत्व में विश्वास रखने वाले लोग इस तरह की बातों पर भरोसा नहीं करते हैं। बता दें कि दिसंबर में हरिद्वार में हुई धर्म संसद में मुसलमानों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी और रायपुर (Raipur) में हुई धर्म संसद में महात्मा गांधी पर अमर्यादित टिप्पणी की गई थी। जिसके बाद देशभर में बवाल मचा था।

क्या कहा संघ प्रमुख ने
संघ प्रमुख नागपुर (Nagpur) में आयोजित एक अखबार के स्वर्ण जयंती समारोह में पहुंचे थे। यहां हिंदू धर्म और राष्ट्रीय एकता व्याख्यान को संबोधित रते हुए उन्होंने धर्म संसद में कही गई बातों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि धर्म संसद की आयोजनों में जो कुछ भी निकला, वह हिंदू शब्द की परिभाषा नहीं है। व्यक्तिगत लाभ या दुश्मनी को देखते हुए गुस्से में कही गई बात हिंदुत्व हो ही नहीं सकती। उन्होंने कहा कि संघ लोगों को बांटने में नहीं, बल्कि उनके बीच पैदा हुए मतभेदों को दूर करने में विश्वास करता है। इससे पैदा होने वाली एकता ज्यादा मजबूत होगी। 

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भिन्नता का मतलब अलगाव नहीं - भागवत

कार्यक्रम में जब संघ प्रमुख से सवाल किया गया कि क्या भारत हिंदू राष्ट्र बनने की राह पर है, तो इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भले ही कोई इसे कोई स्वीकार करे या न करे, लेकिन यह हिंदू राष्ट्र है। हमारे संविधान की प्रकृति ही हिंदुत्ववादी है। यह वैसी ही है जैसी कि देश की अखंडता की भावना। राष्ट्रीय अखंडता के लिए सामाजिक समानता जरूरी नहीं है। भिन्नता का मतलब अलगाव नहीं होता है।

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वीर सावरकर का जिक्र

मोहन भागवत ने वीर सावरकर का जिक्र करते हुए कहा, सावरकर ने कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा, न कि किसी को खत्म करने या उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में। हम हिंदुत्व को एक सूत्र में पिरोने का काम करना चाहते हैं।

धर्म संसद में क्या हुआ था
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई धर्म संसद के दौरान धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने की बात कही गई। जिसके बाद उत्तराखंड पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ कोतवाली हरिद्वार में मामला दर्ज किया गया था। वहीं दिसंबर में ही रायपुर में धर्म संसद में महाराष्ट्र से आए संत कालीचरण ने मंच से गांधीजी के बारे में अपशब्द कहे थे। मामले का बढ़ता देख कालीचरण महाराज को गिरफ्तार कर उसे 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया था।

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