महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी, 2014 में जल्लीकट्टू, बैल-दौड़ पर लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में जल्लीकट्टू, बैल-दौड़ और बैलगाड़ी दौड़ पर देश भर में प्रतिबंध लगा दिया था, यह स्वीकार करते हुए कि ये पीसीए अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। हालांकि कर्नाटक और तमिलनाडु ने नियमित बैल दौड़ की अनुमति देने के लिए पीसीए अधिनियम में संशोधन किया था, जो अब भी चुनौती के अधीन हैं और 3 साल से अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।

मुंबई : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी है। गुरुवार को महाराष्ट्र (Maharashtra) में बैलगाड़ी रेस के आयोजन पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए सशर्त मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के अंतिम आदेश तक जारी रहेगी। पीठ इस सवाल पर विचार करेगी कि क्या तमिलनाडु (Tamil Nadu) राज्य का पशु क्रूरता निवारण के संशोधित अधिनियम इस अदालत के दो निर्णयों में बताए गए दोषों को दूर करता है या नहीं। महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से राज्य में सांडों की दौड़ पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध करते हुए कहा कि तमिलनाडु और कर्नाटक (Karnataka) जैसे राज्यों में इसका आयोजन किया जा रहा है। राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ से कहा कि उसे 2017 के नियमों के अनुरूप बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में जल्लीकट्टू, बैल-दौड़ और बैलगाड़ी दौड़ पर देश भर में प्रतिबंध लगा दिया था, यह स्वीकार करते हुए कि ये पीसीए अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। हालांकि कर्नाटक और तमिलनाडु ने नियमित बैल दौड़ की अनुमति देने के लिए पीसीए अधिनियम में संशोधन किया था, जो अब भी चुनौती के अधीन हैं और 3 साल से अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य के संशोधनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका 2018 से SC की संविधान पीठ के समक्ष लंबित है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली SC बेंच ने कहा कि महाराष्ट्र संशोधनों की वैधता भी कर्नाटक और तमिलनाडु के साथ संविधान पीठ द्वारा तय की जाएगी।

Latest Videos

महराष्ट्र सरकार ने रोक लगाने की मांग की थी
महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन नियमों के क्रियान्वन पर रोक लगा दिया था, जिसके द्वारा राज्य सख्त नियमों के तहत बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करना चाहता था। उन्होंने पीठ से कहा कि प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए और हमें 2017 के नियमों के अनुरूप दौड़ संचालित करने की अनुमति दी जाए।  उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत संबंधित कलेक्टर की इसकी निगरानी के लिए कह सकता है जो इसमें जवाबदेह हो सकते हैं। इस पर पीठ ने कहा कि नियमों में पहले से ही यह प्रावधान है। रोहतगी ने कहा कि पीठ सावधानी बरतने के बारे में कह सकती है और राज्य इसमें पूरी सावधनी बरतेगी।

फैसले के बाद जश्न
वहीं सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद पूरे राज्य में जश्न का माहौल है। लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकार अदालत के फैसले को सेलिब्रेट कर रहे हैं। कई जगहों पर पटाखे फोड़े गए और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया गया। लोगों का कहना है कि राज्य में बैलगाड़ी दौड़ से प्रतिबंध हटने से एक बार फिर यह खेल शुरू हो जाएगा और परंपरा का निर्वहन होगा।

इसे भी पढ़ें- Sheena Bora Murder Case:आरोपी इंद्राणी मुखर्जी का चौंकाने वाला दावा, कहा-जिंदा है शीना बोरा, कश्मीर में ढूंढें

इसे भी पढ़ें- महाराष्ट्र सरकार को SC का झटका, स्थानीय चुनावों में OBC आरक्षण पर रोक, सामान्य मानी जाएंगी आरक्षित सीटें

Share this article
click me!

Latest Videos

SC on Delhi Pollution: बेहाल दिल्ली, कोर्ट ने लगाई पुलिस और सरकार को फटकार, दिए निर्देश
शर्मनाक! सामने बैठी रही महिला फरियादी, मसाज करवाते रहे इंस्पेक्टर साहब #Shorts
महज चंद घंटे में Gautam Adani की संपत्ति से 1 लाख Cr रुपए हुए स्वाहा, लगा एक और झटका
Congress LIVE: राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
Maharashtra Jharkhand Exit Poll से क्यों बढ़ेगी नीतीश और मोदी के हनुमान की बेचैनी, नहीं डोलेगा मन!