मुंबई का एक परिवार बालकनी में कबूतरों को नहीं खिला पाएगा दाना, अदालत ने सुनाया है ऐसा फैसला

इस मामले की शुरुआत करीब 12 साल पहले 2009 में हुई थी। जब दिलीप शाह नाम के युवक के फ्लैट के ऊपर वाले फ्लैट में रहने के लिए एक एनिमल एक्टिविस्ट आया था। वह पक्षियों को खिलाने लगा। धीरे-धीरे वहां पर पक्षियों की संख्या बढ़ने लगी। पड़ोसियों को पक्षियों से दिक्कत होने लगी और उन्होंने अदालत में शिकायत की।

मंबई. अदालत के फैसले काफी जांच-परखने के बाद लिया जाता है, जिस पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर सकता है। इसी बीच मुंबई सिविल कोर्ट एक ऐसा अनूठा फैसला सुनाया है कि जिसकी चर्चा हर कोई कर रहा है। जहां वर्ली इलाके में हाउसिंग सोसाइटी के एक अपार्टमेंट में रहने वाले एक परिवार पर बालकनी में चिड़िया-कबूतरों को दाना खिलाने पर रोक लगा दी है। क्योंकि पड़ोसियों ने दिक्कत होने की शिकायत की थी, जिसके बाद से मामला अदालत में पहुंच गया था।

करीब 12 साल पुराने मामले का अब निपटारा
दरअसल, इस मामले की शुरुआत करीब 12 साल पहले 2009 में हुई थी। जब दिलीप शाह नाम के युवक के फ्लैट के ऊपर वाले फ्लैट में रहने के लिए एक एनिमल एक्टिविस्ट आया था। जहां उसने अपनी बालकनी में कबूतरों के लिए बैठने और उनके खाने के लिए एक बड़ा मेटल ट्रे का प्लेटफार्म बनाया। जिसके बाद वह पक्षियों को खिलाने लगा। धीरे-धीरे वहां पर पक्षियों की संख्या बढ़ने लगी। इसके बाद पक्षियों को दिया जाने वाला दाना और खाने का सामान दिलीप शाह के फ्लैट की खिड़की पर गिरने लगा। साथ ही पक्षियों का शोर भी बढ़ने लगा। इसके कुछ दिन बाद उन्होंने थाने से लेकर कोर्ट में शिकायत की।

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पीड़ित परिवार को पक्षियों से होती थी यह परेशानी
दिलीप शाह ने अपने ऊपरी मंजिल पर रहने वाले जिगिशा ठाकोरे और पदमा ठाकोरे के खिलाफ सिविल कोर्ट में केस दायर किया। जिसमें उन्होंने कहा कि यह लोग अपनी बालकनी में पक्षियों के लिए दाना डालकर बुलाते हैं। जिनका सड़ा-गला दाना हमारे फ्लैट में गिरता और उससे बदबू आती है। साथ ही उनके शोर से हमरी नींद खराब होती है। दाने इतने छोटे होते हैं की पूरा घर गंदा हो जाता है। हम यहां बुजुर्ग पति-पत्नी रहते हैं, लेकिन पक्षियों की वजह से बहुत परेशानी होती है। 

जब मामला बर्दाश्त से बाहर हुआ तो कोर्ट पहुंचा दंपत्ति
शिकायत में बुजुर्ग दंपत्ति ने कहा कि इनके दाने वाले अनाज में छोटे-छोटे कीड़े भी होते हैं और वह गिरकर हमारे किचन तक पहुंच जाते हैं। हमने पहले भी कई बार जिगिशा ठाकोरे और पदमा ठाकोरे को कई बार समझाया, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उल्टा हमको ही भला-बुरा कहकर सुनाने लगे कि आपको  पक्षियों पर दया नहीं आती है तो हम भी कुछ अच्छा काम करते हैं तो उसमें भी आपको परेशानी है। अब मामला बर्दाश्त से बाहर हो चुका है, इसलिए हमने अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

जज ने कहा-दूसरी जगह जाकर पक्षियों को दाना डालिए..
बता दें कि यह मामला जस्टिस एएच लड्डाड के पास गया और उन्होंने दोनों पझों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। जज ने कहा कि  पक्षियों कोमेटल ट्रे में दाना डालकर खिलाने वाले परिवार का बर्ताव से उनके नीचे रहने वाले बुजुर्ग दंपत्ति दुखी हैं। क्योंकि पक्षियों का खाया हुआ दाना उनके घर के अंदर आता है जिससे उनको परेशानी होती है। इसलिए आप अपने पक्षियों को दाना खिलाएं, इससे कोर्ट को कोई अपत्ति नहीं है, लेकिन इसके लिए दूसरी जगह तय कर लीजिए। यहां पर आप पक्षियों को अब दाना नहीं खिला सकते हैं। 
 

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