महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। शिवसेना (Shiv Sena) के बागी मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें उन्होंने 16 बागी विधायकों को विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल द्वारा अयोग्य करार दिए जाने वाले नोटिस को चुनौती दी है।
Maharashtra Political Drama: महाराष्ट्र में चल रही सियासी जंग अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। शिवसेना (Shiv Sena) के बागी मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। इस अर्जी में शिंदे समेत 16 बागी विधायकों को विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल द्वारा अयोग्य करार दिए जाने वाले नोटिस को चुनौती दी गई है। इस याचिका में डिप्टी स्पीकर द्वारा लिए गए एक्शन को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में इस केस में 4 तरह के समीकरण बनते दिख रहे हैं।
समीकरण नंबर 1- क्या सुप्रीम कोर्ट डिप्टी स्पीकर के आदेश पर रोक लगाएगा?
शिंदे गुट के 16 बागी विधायकों को डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल द्वारा अपात्र ठहराने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इन बागी विधायकों को अपना जवाब देने के लिए कुछ और समय मिल जाएगा।
समीकरण नंबर 2 - सुप्रीम कोर्ट डिप्टी स्पीकर द्वारा आगे लिए जाने वाले एक्शन पर लगा सकता है रोक?
एक समीकरण यह भी बन सकता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट शिंदे के बागी विधायकों की मांग मानते हुए उन्हें डिप्टी स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित करने के बाद आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दे।
समीकरण नंबर 3 - सुप्रीम कोर्ट दे सकता है बागी विधायकों को डिप्टी स्पीकर के सामने जाने का आदेश?
हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट सभी 16 बागी विधायकों को यह आदेश दे कि वो मुंबई में विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के सामने जाएं और अपने समर्थन की बात साबित करें।
समीकरण नंबर 4- तो शिंदे गुट को मिल सकती है अलग गुट की मान्यता?
अगर शिंदे गुट के बागी विधायक डिप्टी स्पीकर के सामने ये साबित करते हैं कि उनके पास पर्याप्त विधायक हैं तो उन्हें अलग गुट की मान्यता भी मिल सकती है। बता दें कि शिवसेना के पास 55 विधायक हैं और इसका दो तिहाई यानी 37 विधायकों का समर्थन होने पर शिंदे गुट को एक अलग गुट की मान्यता मिल सकती है।
शिंदे गुट ने इसलिए दी चुनौती?
शिंदे ने महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्यों (दलबदल के आधार पर अयोग्यता नियम, 1986) को अयोग्य ठहराने वाले आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। शिंदे गुट का कहना है कि डिप्टी स्पीकर ने विधायकों को अयोग्य ठहराने में संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1)(जी) का उल्लंघन किया है। इसलिए हमने इस आदेश को चुनौती दी है।
क्या कहता है कानून?
सुप्रीम कोर्ट के वकील देवदत्त कामत के मुताबिक, राज्य के बाहर पार्टी विरोधी गतिविधियां करने वाले विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के कई मामले पहले भी सामने आए हैं। कानून के मुताबिक, बागी विधायकों को किसी और पार्टी में विलय करना होगा, वरना उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष की गैरमौजूदगी में उपाध्यक्ष के पास ऐसा करने का अधिकार होता है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि बता दें कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कई विधायकों ने उद्धव सरकार (महा विकास अघाड़ी) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिंदे गुट का कहना है कि सरकार में न तो उनकी बात सुनी जाती थी और कई बार उन्हें सीएम से मिलने के लिए घंटों गेट पर खड़े रहना पड़ता था। इसके साथ ही वो नहीं चाहते कि उद्धव सरकार एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चलाए। शिंदे गुट का दावा है कि उनके पास 40 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।
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