सार

महाराष्ट्र में उद्धव  सरकार पर सियासी संकट गहराता जा रहा है। शिवसेना के 42 विधायकों का समर्थन खो चुके उद्धव ठाकरे अपने विधायकों को मनाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन कोई मुंबई लौटने को तैयार नहीं है। ऐसे में क्या अब महा विकास अघाड़ी सरकार खुद को बचा पाएगी या एक बार फिर बीजेपी सत्ता में लौटेगी। जानिए क्या-क्या बन रहे हैं समीकरण? 

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में उद्धव  सरकार करीब-करीब गिरती हुई नजर आ रही है। राज्य के मंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना के 42 और 7 निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी में हैं। ये साफ संकेत है कि उद्धव ठाकरे अपने ही 42 विधायकों का समर्थन खो चुके हैं। ऐसे में क्या अब महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार बच पाएगी या फिर वहां बीजेपी एक बार फिर अपनी सरकार बनाने जा रही है। आइए जानते हैं महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बीच आखिर किस तरह के समीकरण बन रहे हैं। 

समीकरण नंबर 1 - बहुमत साबित कर सरकार बना सकती है बीजेपी? 
288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में वर्तमान विधायकों की संख्या 287 है। ऐसे में बहुमत के लिए 144 विधायकों का समर्थन जरूरी है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार को अब तक 169 विधायकों का समर्थन मिला था। लेकिन अब शिवसेना अपने 42 विधायकों का समर्थन खोकर अल्पमत में आ चुकी है। ऐसे में अगर एकनाथ शिंदे अपने 42 विधायकों के साथ बीजेपी को समर्थन देते हैं तो बीजेपी बहुमत में आकर सरकार बना सकती है। 

समीकरण नंबर 2 : क्या शिंदे की बात मानेगी शिवसेना?
शिंदे गुट के बागी विधायक चाहते हैं कि महाविकास अघाड़ी यानी उद्धव सरकार एनसीपी से हटकर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाए। शिंदे खुद भी कई बार कह चुके हैं कि वो हिंदुत्व का साथ नहीं छोड़ेंगे। उनका मानना है कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने से शिवसेना की कट्टर हिंदुत्व वाली इमेज पर बुरा असर पड़ा है। ऐसे में अब शिंदे अगर बीजेपी के साथ आते हैं तो शिवसेना को डिप्टी सीएम पद मिलने के साथ ही 12 विधायकों को मंत्री पद मिल सकता है। बाकी बचे विधायकों को निगम और मंडल प्रमुख बनाया जा सकता है। 

समीकरण नंबर 3 : शिवसेना छोड़ बीजेपी में चले गए विधायक तब क्या? 
अगर एकनाथ शिंदे और बागी कैंप के विधायक शिवसेना में लौटने से मना करते हुए इस्तीफा दे देते हैं तो इन विधायकों को बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव लड़ना होगा। अगर ये सभी जीत जाते हैं तो भाजपा आसानी से सरकार बना लेगी। इसके अलावा अगर महा विकास अघाड़ी सरकार फ्लोर टेस्ट में बहुमत हासिल नहीं कर पाती है तो सरकार गिर जाएगी। इसके बाद केंद्र राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर सकता है। बाद में महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं।

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