दो दिन पहले रिटायर हुए मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडेय को ED ने किया तलब, बढ़ेंगी मुश्किलें

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को-लोकेशन घोटाले से जुड़े एक मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है। श्री पांडे 30 जून को पुलिस बल से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के दो दिन बाद ही उन्हें समन भेजा गया था।
 

Dheerendra Gopal | Published : Jul 3, 2022 2:35 PM IST / Updated: Jul 03 2022, 08:27 PM IST

नई दिल्ली। ईडी (Enforcement Directorate) ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे (Sanjay Pandey) को मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में तलब किया है। संजय पांडेय को इस केस में पूछताछ के लिए 5 जुलाई को दिल्ली में पेश होने के लिए कहा गया है। संजय पांडेय अभी तीन दिन पहले ही रिटायर हुए हैं।

इस मामले में हो रही है जांच

वित्तीय अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी ने संजय पांडेय को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को-लोकेशन घोटाले से जुड़े एक मामले में तलब किया है। इस केस की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है। श्री पांडे 30 जून को पुलिस बल से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के दो दिन बाद ही उन्हें समन भेजा गया था।

क्या है आरोप

पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडेय पर आरोप है कि उनकी फर्म की संलिप्तता को-लोकेशन घोटाला में रहा है। यह आरोप लगाया गया है कि श्री पांडे द्वारा निगमित फर्म उन आईटी कंपनियों में से एक थी, जिन्हें 2010 से 2015 तक एनएसई में सुरक्षा ऑडिट करने का काम सौंपा गया था। बता दें कि इसी दौरान को-लोकेशन घोटाला हुआ था।

क्या है को-लोकेशन स्कैम?

एजेंसी ने मई 2018 में मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि संजय गुप्ता के स्वामित्व वाली दिल्ली स्थित ब्रोकर फर्म ओपीजी सिक्योरिटीज और कुछ अन्य लोगों ने कुछ डेटा सेंटर स्टॉफ के साथ साजिश में 2010-14 के दौरान एनएसई सर्वर डेटा तक access के लिए एक एल्गोरिथम ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था।  तत्कालीन उपलब्ध को-लोकेशन सुविधा का लाभ उठाते हुए, उन्होंने एक्सचेंज के सेकेंडरी सर्वर के माध्यम से त्वरित डेटा एक्सेस भी प्राप्त किया। जनवरी 2015 में एक व्हिसलब्लोअर ने को-लोकेशन घोटाले की सूचना सेबी को दी थी। एजेंसी ने एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण और उसके पूर्व समूह संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। सीबीआई ने फरवरी में श्री सुब्रमण्यम को गिरफ्तार किया और उसके तुरंत बाद, सुश्री रामकृष्ण को भी गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारियां भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के आदेश के बाद की गईं, जिसमें दो आरोपियों और अन्य पर कई मामलों में जुर्माना लगाया गया था। आयकर विभाग ने चेन्नई और मुंबई में उनके परिसरों की भी तलाशी ली थी।

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