16 सप्ताह की गर्भवती नाबालिग को हाईकोर्ट ने दी अबॉर्शन की मंजूरी, यौन शोषण के चलते पेट में पल रहा था बच्चा

Published : Jul 02, 2022, 12:30 PM ISTUpdated : Jul 02, 2022, 12:43 PM IST
16 सप्ताह की गर्भवती नाबालिग को हाईकोर्ट ने दी अबॉर्शन की मंजूरी, यौन शोषण के चलते पेट में पल रहा था बच्चा

सार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 16 सप्ताह की गर्भवती नाबालिग को गर्भपात कराने की मंजूरी दी है। वह यौन शोषण का शिकार हुई थी। नाबालिग हत्या के मामले में आरोपी है।

नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 16 सप्ताह की गर्भवती नाबालिग को गर्भपात कराने की मंजूरी दी है। नाबालिग यौन शोषण का शिकार हुई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच ने यह फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि गर्भवती लड़की अगर बच्चे को जन्म देती है तो वह उसपर बोझ होगा। इसके साथ ही इससे उसके मानसिक स्वास्थ को गंभीर चोट पहुंचेगी। 

नाबालिग लड़की हत्या के मामले में आरोपी है। कस्टडी के दौरान उसे ऑब्जर्वेशन होम में रखा गया था। जस्टिस ए.एस. चंदुरकर और उर्मिला जोशी-फाल्के की बेंच ने 27 जून को मामले की सुनवाई की। बेंच ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) की अनुमति देते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि बच्चे को जन्म देना है या नहीं यह महिला की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है। 

बच्चा जन्म देने के लिए विवश नहीं कर सकते
जज ने कहा कि लड़की को बच्चा जन्म देने के लिए विवश नहीं किया जा सकता। उसे यह चुनने का अधिकार है कि बच्चे को जन्म देना है या नहीं। हाईकोर्ट ने यह सुनवाई नाबालिग की याचिका पर की। नाबालिग ने गर्भपात कराने की मांग की थी। जांच के दौरान पता चला कि वह यौन शोषण के कारण गर्भवती हुई थी।

नाबालिग ने कहा था- नहीं जन्म देना चाहती बच्चा
नाबालिग ने अपनी याचिका में कहा था कि वह गरीब परिवार से है। यौन शोषण के कारण उसे आघात लगा है। ऐसी परिस्थितियों में उसके लिए बच्चा पैदा करना मुश्किल होगा। उसके वकील ने तर्क दिया कि वह एक बच्चे को पालने के लिए न तो आर्थिक रूप से और न ही मानसिक रूप से सक्षम है। 

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कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से नाबालिग की मेडिकल रिपोर्ट मांगी थी। 16 सप्ताह की गर्भवती होने के बाद भी मेडिकल बोर्ड ने उसकी गर्भावस्था समाप्त करने की सहमति दी थी। एमटीपी एक्ट के अनुसार 20 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद गर्भपात कराने के लिए कोर्ट की मंजूरी जरूरी है। कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि याचिकाकर्ता नाबालिग है और अविवाहित है।

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